तुम आओ न..
***************दर्द ये पिघल जाए
दिल जो बहल जाए
स्वप्न फिर संवर जाए
तुम आओ न..
सोच ये बदल जाए
मीत जो मिल जाए
गीत कोई नया गाए
तुम आओ न..
रंग ये निखर जाए
संग जो तेरा पाए
पुष्प फिर खिल जाए
तुम आओ न..
दिन ये चमक जाए
शाम जो बहक जाए
बेक़रार हमें कर जाए
तुम आओ न..
नयन ये मुस्काए
बदन जो सिहर जाए
मिलन फिर हो जाए
तुम आओ न..
चमन ये महक जाए
बागवां जो मिल जाए
सुंगध फिर बिखर जाए
तुम आओ न..
राह ये दिखा जाए
चैन जो हमें आए
हम किसी के हो जाए
तुम आओ न..
यादें ये रुला जाए
आंगन जो सूना पाए
किस्मत नहीं बदल पाए
तुम आओ न..
-व्याकुल पथिक
दर्द ये पिघल जाए
ReplyDeleteदिल जो बहल जाए
स्वप्न फिर संवर जाए
तुम आओ न..
बहुत सुंदर सृजन शशि जी
जी धन्यवाद, प्रणाम कामिनी जी
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (25-02-2019) को "आईने तोड़ देने से शक्ले नही बदला करती" (चर्चा अंक-3258) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्री सर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना...
ReplyDeleteलाजवाब...
जी प्रणाम।
ReplyDeleteदर्द ये पिघल जाए
ReplyDeleteदिल जो बहल जाए
स्वप्न फिर संवर जाए
तुम आओ न..
सोच ये बदल जाए
मीत जो मिल जाए
गीत कोई नया गाए
तुम आओ न..
बहुत ही मर्मस्पर्शी काव्य रचना प्रिय शशि भाई | किसी को पुकारता व्याकुल मन और घोर मायूसी !!!!!!
लिखना चाहूंगी --
लाख बहाए हमने आसूं
ना लौटे -वो जाने वाले
जाने कहाँ बसाई बस्ती -
तोड़ निकल गये मन के शिवाले !!!!!!
दर्द ये पिघल जाए
ReplyDeleteदिल जो बहल जाए
स्वप्न फिर संवर जाए
तुम आओ न..
सोच ये बदल जाए
मीत जो मिल जाए
गीत कोई नया गाए
तुम आओ न....बेहतरीन प्रस्तुति
सादर
जी प्रणाम। धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत सुंदर नवगीत.वाह!वाह!💐
ReplyDeleteजी शुक्रिया सलीम भाई।
ReplyDeleteवाह! शानदार काविता।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
जी भाई साहब
ReplyDeleteBahut hi acchi kavita.
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