स्वांग
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हैं रातें रंगीन जिनकी
वे वाह-वाह किया करते हैं
किसी की उदासी पर क्यों ?
वे मुस्कुराया करते हैं
सम्वेदनाओं की झोली उनकी
फिर भी है क्यों खाली ?
शब्दों की चाशनी में
जो जहर पिलाया करते हैं
नियति ने दे रखी है
जिन्हें अपनों का साथ
यतीमों के दर्द पर क्यों ?
वे खिलखिलाया करते हैं
बनते तो हैं वे सभी
सकारात्मकता के पुतले
फिर अपने ग़म में यूँ
क्यों छटपटाया करते हैं ?
खुशियों का मुखौटा जिन्होंने
लगा रखा है सुहाना
दिल के आईने में चेहरा उनका
क्यों बुझा- बुझा होता है ?
दर्द छुपा बैठें हैं वे भी कई
उजालों का मगर स्वांग रचते हैं
सच से मिलती जब भी निगाहें
वे क्यों तिलमिलाया करते हैं ?
ठहर पथिक तू तनिक ठहर
इन मीठी बोलियों को तौल
मौसम चुनाव का है गंभीर
नेताओं सा ढ़ोग ये किया करते हैं
- व्याकुल पथिक
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हैं रातें रंगीन जिनकी
वे वाह-वाह किया करते हैं
किसी की उदासी पर क्यों ?
वे मुस्कुराया करते हैं
सम्वेदनाओं की झोली उनकी
फिर भी है क्यों खाली ?
शब्दों की चाशनी में
जो जहर पिलाया करते हैं
नियति ने दे रखी है
जिन्हें अपनों का साथ
यतीमों के दर्द पर क्यों ?
वे खिलखिलाया करते हैं
बनते तो हैं वे सभी
सकारात्मकता के पुतले
फिर अपने ग़म में यूँ
क्यों छटपटाया करते हैं ?
खुशियों का मुखौटा जिन्होंने
लगा रखा है सुहाना
दिल के आईने में चेहरा उनका
क्यों बुझा- बुझा होता है ?
दर्द छुपा बैठें हैं वे भी कई
उजालों का मगर स्वांग रचते हैं
सच से मिलती जब भी निगाहें
वे क्यों तिलमिलाया करते हैं ?
ठहर पथिक तू तनिक ठहर
इन मीठी बोलियों को तौल
मौसम चुनाव का है गंभीर
नेताओं सा ढ़ोग ये किया करते हैं
- व्याकुल पथिक