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सर्द निगाहों से दिल ने पुकारा
कहाँ है वो श्वेत वस्त्र तुम्हारा ?
उठेगी डोली बजेगी शहनाई-
मिलन की रात,है कैसी जुदाई ?
उठा बचपन में साया किसी का
दुल्हन के जैसे अर्थी सजी थी ;
आँखों में आँसू,नहीं थें वो सपने-
मिलन की राह, है कैसी जुदाई ?
तरसती जवानी बहकती निगाहें-
मिले संगी - साथी - हुये वो पराये;
तन्हाई मिली है गुजरा जमाना-
यादों की बारात , है कैसी जुदाई ?
भटकती रूहों को है पास आना ,
आंचल तुम्हारा है वो आशियाना ;
पथिक का नहीं है कोई ठिकाना-
मिलन की चाहत,है कैसी जुदाई?
उखड़ती सांसें वो - तरसी निगाहें-
तुम्हें पुकारे जो बहे अश्रुधारा ;
अगन जला, है अनंत में समाना
बसंत की आस, है कैसी जुदाई ?
(व्याकुल पथिक)
सर्द निगाहों से दिल ने पुकारा
कहाँ है वो श्वेत वस्त्र तुम्हारा ?
उठेगी डोली बजेगी शहनाई-
मिलन की रात,है कैसी जुदाई ?
उठा बचपन में साया किसी का
दुल्हन के जैसे अर्थी सजी थी ;
आँखों में आँसू,नहीं थें वो सपने-
मिलन की राह, है कैसी जुदाई ?
तरसती जवानी बहकती निगाहें-
मिले संगी - साथी - हुये वो पराये;
तन्हाई मिली है गुजरा जमाना-
यादों की बारात , है कैसी जुदाई ?
भटकती रूहों को है पास आना ,
आंचल तुम्हारा है वो आशियाना ;
पथिक का नहीं है कोई ठिकाना-
मिलन की चाहत,है कैसी जुदाई?
उखड़ती सांसें वो - तरसी निगाहें-
तुम्हें पुकारे जो बहे अश्रुधारा ;
अगन जला, है अनंत में समाना
बसंत की आस, है कैसी जुदाई ?
(व्याकुल पथिक)