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Wednesday 27 February 2019

है लहराया तिरंगा



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है लहराया तिरंगा,होरही पुष्प वर्षा
मनाते दिखे सब , होली -दीवाली

मुखरित हुआ मौन, सिंहनाद भारी
माँ भारती के वीरों की हुंकार भारी

ये वक्त हमारा है, वो गर्दिश तुम्हारी
ये आसमां हमारा , वो कब्र तुम्हारी

ये होली हमारी है, वो लहू  तुम्हारा
ये गोली हमारी है, वो लाशें तुम्हारी

शहीदों की माताएँ , कहें सीना ताने
है बढ़े जो कदम तेरे , पीछे न लाना

प्रतिशोध की ज्वाला  ,यूँ न बुझाना
मिटा  दुश्मनों को, वीर लौट आना

शहीदों की विधवाएँ, कहें भैया मेरे
हैं फड़कती भुजाएँ, उठा ले तिरंगा

टूटी चूड़ियों की है सौगंध,तू सुन ले
दुश्मन जो ताके, मिटा उनकी लंका

दिखा पराक्रम आज, जयकार भारी
नभ से पुकारे कोई, वीर भारतवासी

शहीदों की मुस्कान,जुबां पे है वाणी
जला रे तू दीपक,अब हमें दे सलामी

                .         -व्याकुल पथिक

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हम तुम्हें मारेंगे  और जरूर मारेंगे
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 भारत द्वारा सीमा पार आतंकी शिविरों पर की गई बमबारी और भारी संख्या में आतंकवादियों को मार गिराने की खबर से देश का हर नागरिक  गर्व से  सीना  फुलाए है। सौदागर फिल्म में  राजकुमार का वो डायलॉग  "हम तुम्हें मारेंगे  और जरूर मारेंगे, पर  वह बंदूक भी हमारी होगी और गोली भी हमारी होगी और वक्त भी हमारा होगा , बस जमीन तुम्हारी होगी "  युवा वर्ग की जुबां पर है। वहीं वरिष्ठ लोग "जय हिंद जय हिंद की सेना" इस उद्घोष के साथ भारत माता के वीर जवानों को सलाम कर रहे हैं।
   भारी उत्साह का माहौल है । होली और दीपावली दोनों ही सड़कों पर उतर कर यहां की जनता मना रही है। एयर सर्जिकल स्ट्राइक- 2 के बाद से जनमानस में यह भावना जगी है कि हमारी सरकार ,हमारे जवान अब शत्रुओं को उन्हीं की भाषा में उत्तर देने में कोताही नहीं करेंगे । 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में मारे गए जवानों की तेरही पर हमारी सेना ने जो सफल कार्रवाई की है, वह इन शहीदों के प्रति सबसे बड़ी सच्ची श्रद्धांजलि है। अन्यथा जुबानी ललकार तो वर्षों से हमारे राजनेताओं की भाषा रही है ।जिसे सियासत से अधिक और कुछ भी नहीं जानता समझ रही थी,  परंतु अब यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह कहते हैं, " मैं देश नहीं रूकने दूंगा-मैं देश के लिए नहीं झुकने दूंगा" या फिर यह कहते हैं "खुद से बड़ा दल ,दल से बड़ा देश" , तो फिर उनकी बातों में वजन है इतना तो कहा ही जा सकता है। भले ही सियासी चश्मे से इसे विभिन्न राजनैतिक दलों के लोग देखते हो ,परंतु यह जश्न का समय है और अपनी सेना की ताकत पर ,उसकी सफल ऑपरेशन पर और उसके सम्मान में जितने भी राजनेता हैं, सभी को एक मंच पर खड़े होकर ताली बजाना चाहिए। जो ऐसा नहीं करता है, वह इस राष्ट्र में जयचंद से अधिक कुछ भी नहीं है। ऐसे लोगों की पहचान यदि समय-समय पर होती रहती तो आज यह स्थिति उत्पन्न ही नहीं होती। ऐसे अलगाववादी तत्वों को राजनैतिक संरक्षण देने के कारण ही आतंकवादियों को अपने रास्ते में शरण देने वालों का मनोबल बड़ा है। परंतु इस सर्जिकल स्ट्राइक टू से अब आतंकवादियों के रहनुमाओं को समझ में कुछ तो आया ही होगा कि हमारी सरकार और हमारी सेना बड़ी कार्रवाई के लिए तत्पर है और वह किसी कूटनीति के चक्रव्यू में उलझने वाली नहीं है सेना का मनोबल इससे बड़ा होगा और शत्रुओं को यह समझ में आ गया होगा कि दरबे में छिपकर बैठने और मौका मिलते ही कायरों की तरह घात लगाकर हमला करने का उनका नापाक खेल अब उनपर ही भारी पड़ेगा । देश की सुरक्षा के लिए मां भारती के लाल अब सीमा उस पार घुस कर भी उन्हें कब्र में सुला सकते हैं ।जैसा कि उन्होंने 26 फरवरी को किया ।भारतीय लड़ाकू विमानों ने जिस तरह से अपना पराक्रम पाकिस्तान की सीमा में घुस कर दिखाया और अपना ऑपरेशन पूरा कर वे वापस अपने वतन को लौट आये ,उससे शत्रुओं का दहल जाना और वहां के राजनेताओं का उल जलूल बयान देना दोनों ही परिस्थितियां पाकिस्तान के प्रतिकूल है। विशेषकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के लिए कल जहां पाकिस्तान के रहनुमाओं के विरुद्ध सेम- सेम का नारा लग रहा था तो वहीं अपने देश में भारत माता की जय और मोदी जिंदाबाद का उद्घोष चहुंओर सुनने को मिला। और ऐसा हो भी क्यों ना क्योंकि आतंकवादियों की घिनौनी हरकतों और बिना लड़े ली भारतीय जवानों के इस तरह से मारे जाने को लेकर जनता में वर्षों से आक्रोश रहा। राष्ट्र के प्रति समर्पित हर नागरिक जो स्वयं को भारत माता का संतान समझता है, उसकी एक ही इच्छा थी कि शत्रुओं को उसकी धरती पर सबक सिखाया जाए ।युद्ध का परिणाम भले ही विनाशकारी हो, विध्वंस कारी हो और सभ्य समाज को कटघरे में खड़ा करता हो।  लेकिन यह भी सत्य है कि बिना बलिदान के , बिना युद्ध के, बिना रक्तपात के शांति की स्थापना कहाँ हो पाती है।

14 comments:

  1. बेहतरीन रचना आदरणीय 🙏

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  2. ओजस्वी रचना...
    शहीदों की मुस्कान,जुबां पे है वाणी
    जला रे तू दीपक,अब हमें दे सलामी
    आभार...
    सादर....

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  3. शहीदों की मुस्कान,जुबां पे है वाणी
    जला रे तू दीपक,अब हमें दे सलामी।
    वाह वाह शशि भाई ओजमय तेजोमय रचना।

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  4. मुखरित हुआ मौन, सिंहनाद भारी
    माँ भारती के वीरों की हुंकार भारी

    ये वक्त हमारा है, वो गर्दिश तुम्हारी
    ये आसमां हमारा , वो कब्र तुम्हारा..बेहतरीन रचना आदरणीय शशि भाई 🙏|
    सादर

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  5. शहीदों की माताएँ , कहें सीना ताने
    है बढ़े जो कदम तेरे , पीछे न लाना

    प्रतिशोध की ज्वाला ,यूँ न बुझाना
    मिटा दुश्मनों को, वीर लौट आना

    आयें बहुत ही भावपूर्ण लेखन प्रिय शशी भाई | वीरों की शान में लिखे गये ये शब्द वीरों को न्याय कर्म के लिए प्रेरित करते हैं और मातृभूमि के लिए आपके अनन्य जज्बे को इंगित करते हैं | आज कण कणयही पुकार रहा है कि नाजायज सताने वाले नराधमों को सबक सिखाया जाये और परलोक पहुंचाया जाए |शत्रु राष्ट्र ने भारत के अहिंसा प्रेमको कायरता समझने की जो भूल की है उसे इसका मुंह तोड़ जवाब मिलना ही था | भारत के जांबाज वीर मर्तिभूमि के स्वाभिमान के लिए सर्वस्व बलिदान को उद्दत हैं | सुंदर लेख और कविता के लिए आपको हार्दिक शुभकामनायें |

    तिरंगे को लाखों नमन |

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  6. जय हिन्दुस्तान भारत माता की जय

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  7. शहीदों की मुस्कान,जुबां पे है वाणी
    जला रे तू दीपक,अब हमें दे सलामी
    बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति

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  8. जी रेणु दी, रितु जी अभिलाषा जी एवं विश्व मोहन जी, आप सभी को मेरा प्रणाम इस उत्साहवर्धन के लिए।

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  9. शशि भाई नमस्ते. लेख पढ़ा अच्छा लगा सोच रहा हूँ कि आप जैसे गंभीर और विचार वान व्यक्ति से बात कहाँ से शुरू करूँ?.आज आपको पढ़ते हुये ये अहसास हुआ कि भारतीय मध्यम वर्ग मोदीजी के युद्धोन्माद में आ ही गया. चुनाव से पहले यह होना ही था. युद्ध किसी मसले का हल नहीं है युद्ध तो खुद एक मसला है. पिछले18 वर्षों से अमरीका आफगानिस्तान से लेकर इराक तक आतंकवाद के नाम पर(हलांकि वह ख़ुद उसका जन्मदाता है)युद्ध करवा रहा है. और अब वहां से निकल भागने की तैयारी कर रहा है क्या इतने बम जहाज सेना आतंकवाद को खत्म कर पाये?समस्या जस की तस बल्कि अब तालिबानी आतंकियों से अमरीका वार्ता कर रहा है उसमें मोदीजी की सरकार भी शामिल है और तालिबान को अप्रत्यक्ष मान्यता जैसी दे रही है.शशि भाई पुलवामा मोदी सरकार की भयानक नाकामी था. अब अपनी नाकामी छुपाने के लिए देश को युद्ध में ढकेल कर वोट मांगे जा रहे हैं. किसी भी विचार वान देशभक्त को नेताओं के झांसे और लफ्फाज़ी में आने,और उन्माद का शिकार हो समाज को गहरे नुकसान में डालने की जगह धैर्य और ठंडे दिमाग से देश समाज का नफा नुकसान सोचना चाहिए. कमरों में बैठ कर. सड़कों पर तिरंगा लेकर उन्माद नारे लगा कर युद्ध बहुत आसान है. पर जिनके लाल सरहद पर हैं. उनसे पूछिये.अभी मैं कुछ परिवारों से मिला जिनके लाल देशसेवा में तैनात हैं. लोग हालात से चिन्तित हैं. उनके जज्बे में कोई कमी नहीं पर कह रहे हैं कि वोट के लिए ये पैतरेबाजी ठीक नहीं. वैसे आपको थोड़ा याद दिला दूँ कि नेपोलियन बोनापार्ट भी यही करता था जब उसकी सारी घरेलू नीतियां विफल हो गयीं तो उसने युद्ध का ऐलान कर दिया और सारी जनता को उस प्रवाह में बहा ले गया. ग़ज़ब का युद्धोन्माद पैदा किया था फ्रांस में उसके खिलाफ बोलना राष्ट्र द्रोह हो गया था. लेकिन वह विफल हो गया. फिर आप ही सोचें जब मिर्जापुर की चिमनी से धुआं नहीं निकला का मोदी से सवाल पूछने वाले सुधिजन भी दिग्विजय दिग्विजय के शोर में शामिल हो गये.ऐसा ही है यह उन्माद. याद रखिये यह वही भाजपा है जिसने गाय गोबर.क्षेत्र भाषा के नाम पर समाज को बाटने की कोई हरकत पिछले5बरसों में नहीं छोड़ी है. इस समय जब युद्ध आसंन्न है.सबसे बड़ी देशभक्ति है आतंकवाद को शिकस्त देना वह भी बगैर अपने लोगों को नुकसान पह़ुंचाये.वरना भाजपा के नेता येद्दयुरप्पा जैसे युद्ध का स्वागत ना करते कि इससे भाजपा कर्नाटक में22सीटें लोस में जीत जायेगी. अमित शाह और योगी तुरंत चुनावी रैली कर सेना के नाम पर वोट नहीं मांगने लगते.वैसे भारतीय वायुसेना ने कोई अधिकारिक आंकड़ा दुश्मन की संख्या को लेकर नहीं जारी किया है.सब चैनलों का शोर है.और हिन्दी मीडिया तो मोदी का चुनावी भोंपू बन गया है. ज़रा अन्य अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को सुने बात अलग है. भारतीय वायुसेना ने अपने पेशेवर रुख को कायम रखा है और कोई भी राजनीतिक बयानबाजी में ना आकर अपना कर्तव्य निभाया है. सलाम है बहादुरों को. लेकिन याद रखिये हमारा एक शेर अभिनंदन नापाक हिरासत में है. हम उनकी सकुशल वापसी की कामना करते हैं साथ ही पाकिस्तान को जेनेवा कन्वेंशन का निर्णय पालन करते हुए विंग कमांडर अभिनंदन जी को सकुशल भारत भूमि पर वापस भेजने की मांग करते हैं. लेकिन हमारा प्रधानमंत्री सब छोड़ बूथ मज़बूत कार्यक्रम करने लगा है. आखिर में जिस फिल्मी संवाद की आपने चर्चा की उसका अंत यह होता है कि राजकुमार और दिलिप कुमार गले में हाथ डाले"इमली का बूटा,बेरी का पेड़.."गाते हैं बस चुनाव बीतने दें मोदीजी, इमरान खान के साथ यही करते मिलेंगे. जिनके घरों मेंअंधेरा होगा उसका दर्द वही भोगेंगे इतिहास गवाह है कारगिल में भी यही किया गया था. जवानों के ताबूतों पर वोट मांगे गये थे.

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  10. भारतवासी सदैव शांतिप्रिय रहे हैं, फिर भी पाकिस्तान जैसा कुटिल और दुष्ट राष्ट्र,हमारे इस मानवीय गुण को हमारी कमजोरी समझ बैठता है और शेष कार्य हमारे राजनेता पूरा कर देते हैं।

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  11. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-03-2019) को "पापी पाकिस्तान" (चर्चा अंक-3262)) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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