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Friday 26 April 2019

वेदना से हो अंतिम मिलन


वेदना से हो अंतिम मिलन

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प्रीत का पुष्प  बन न सका

तू कांटों का ताज मुझे दे दो

खुशियों की नहीं  चाह मगर

वो दर्द का साज़ मुझे दे दो

न सपनों का  संसार मिला

तन्हाई हो वो रात मुझे दे दो

न प्यार मिला न इक़रार मिला

वो ज़ख्म जहां का मुझे दे दो

आंचल का तेरे  न छांव मिला

वेदना और संताप मुझे दे दो

 न  स्नेह की चाहत है तुझसे

   वो वैराग्य हमारा मुझे दे दो

यादों में अब ना आया करों

 एक और आघात मुझे दे दो

 वे न कहें इक भूल हैंं हम

  तिरस्कार तुम्हारा मुझे दे दो

कोमल न हो ये हृदय अपना

 यह वज्राघात मुझे दे दो

उपहास सहा,अब उपवास सहूं

तृप्त रहूँ, ये स्वांग मुझे दे दो

लूटे हुये अरमानों की कसम

  तुलसी-गंगा जल मुझे दे दो

जहाँ  फिर न कोई मीत मिले

  मरघट सा पावन तीर्थ दे दो

जलती हुई एक चिता हूँ मैं

 और भस्म हमारा उसे दे दो

वेदना  से हो  ये अंतिम मिलन

अब अनंत की राह मुझे दे दो

                - व्याकुल पथिक


24 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-04-2019) को " गणित के जादूगर - श्रीनिवास रामानुजन की ९९ वीं पुण्यतिथि " (चर्चा अंक-3319) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    ....
    अनीता सैनी

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. वाह! वेदना का सुंदर गीत, जीवन के दर्शन को समेटे।

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  4. जी प्रणाम, बहुत बहुत आभार आपका।

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  5. आंचल का तेरे न छांव मिला
    वेदना और संताप मुझे दे दो
    वाह!!!
    बहुत लाजवाब रचना...

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  6. जी प्रणाम, धन्यवाद, आप सदैव उत्साहित करती हैं.

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  7. This comment has been removed by the author.

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  8. बहुत ही मार्मिक रचना प्रिय शशि भाई | आकुल व्याकुल मन से रुंधे स्वर हैं वेदना के | खुद को असमर्थ पाती हूँ ऐसी रचना पर लिखने के लिए | लिखते रहिये आपका काव्य लेखन निरंतर भावपूर्ण होता जा रहा है| सस्नेह शुभकामनायें |

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  9. जी दी, आपका आशीष ही मेरे लिये महत्वपूर्ण हैं। मेरी तनिक भी अभिलाषा नहीं है कि मैं रचनाकार बनूँ, परंतु अपनी अनुभूतियों को शब्द दे सकूँ, सिर्फ इतना चाहता हूँ।
    आपके स्नेह के लो शब्द ही मेरे लिये प्रयाप्त है। अन्यथा यह दुनिया ऐसी है कि दो दिन तो लोग अपनेपन का प्रदर्शन करते हैं, फिर मन भरते ही,वो कहाँ और हम कहाँ।
    प्रणाम।।

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  10. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २९ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  11. बहुत ही भावपूर्ण रचना शशिभैया।
    बहुत बार आपकी रचनाओं में अपनी वेदना की अभिव्यक्ति पा जाती हूँ। समझ ही नहीं आता इन पर क्या लिखूँ। हाँ, आपकी लेखनी को पढ़ने की उत्सुकता निरंतर बनी रहती है। आप जैसे संवेदनशील हर पत्रकार हो, तो समाज का बहुत भला हो सकता है।

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  12. जी मीना दी.
    मेरे पास आप जैसी लेखनी नहीं है,फिर भी आपको पसंद आया ,यह भाव तो
    मेरी "वेदना" सफल हुई।
    प्रणाम।

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  13. अनंत वेदना का लहराता सागर हिलोरे ले रहा है रचना में रचना मन की पीड़ा की प्रतिछाया बन कर ऊभरी है ।
    बहुत दर्द भरी हृदय स्पर्शी रचना ।

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  14. भावपूर्ण रचना।

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  15. लूटे हुये अरमानों की कसम
    तुलसी-गंगा जल मुझे दे दो

    जहाँ फिर न कोई मीत मिले
    मरघट सा पावन तीर्थ दे दो

    जलती हुई एक चिता हूँ मैं
    और भस्म हमारा उसे दे दो

    वेदना से हो ये अंतिम मिलन
    अब अनंत की राह मुझे दे दो

    व्याकुलता की सीमा से परे। बेहतरीन लेखन। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय व्याकुल जी।

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  16. जी प्रणाम भाई साहब

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  17. वेदना से हो ये अंतिम मिलन
    अब अनंत की राह मुझे दे दो

    प्रशंसा से परे , शब्द नहीं हैं मेरे पास ,अंतर्वेदना की ऐसी अभिव्यक्ति जो हर हृदय में वेदना भर दे शशि जी ,सादर नमस्कार

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  18. आंचल का तेरे न छांव मिला
    वेदना और संताप मुझे दे दो
    वाह!!!
    बहुत लाजवाब रचना... शशि जी
    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
    संजय भास्‍कर
    शब्दों की मुस्कुराहट
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  19. वेदना ही जगाती है सच्ची संवेदना, शशि जी । आपकी यह रचना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

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    Replies
    1. जी बिल्कुल , प्रवीण भैया।
      आभार।

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  20. शशि भाई, मन की वेदना का बहुत ही मार्मिक चित्रण किया हैं आपने।

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yes