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Monday 20 January 2020

ख़्वाहिश

ख़्वाहिश
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(जीवन की पाठशाला )

मस्ती भरी दुनिया में, छेड़ो तराना

 जो नहीं हैं , उनको भूल जाना ।

था छोटा-सा घर,अब न ठिकाना

 मुसाफ़िर हो तुम, बढ़ते ही जाना।

मन की उदासी से,खुद को बहलाना

ग़ैरों की महफ़िल ,खुशियाँ न चाहना।

मिलते है लोग, करके ठिठोली

अपना न कोई , है कैसा जमाना !

राज जो भी हो, दिल में छुपाना

बनके तमाशा, तुम जग को हँसाना।

खुशबू तेरे मन की,जबतक न महके

 इस दुनिया से, यूँ वापस न जाना ।

टूटे  सपने  हो , झूठे सब वादे

ज़ख़्मी जिगर तेरा ,उसे न रुलाना।

देखो जरा तुम , किसने पुकारा

ये ख़्वाहिश है तेरी,या झूठा बहाना !!!

  - व्याकुल पथिक

26 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 21 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत ही सुन्दर सृजन आदरणीय शशि भाई
    सादर

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  3. वाह... प्रभावी रचना

    साधुवाद

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (22-01-2020) को   "देश मेरा जान मेरी"   (चर्चा अंक - 3588)    पर भी होगी। 
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
     --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

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    1. चर्चामंच पर स्थान देने केलिए हृदय से आभार गुरुजी।

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  5. जी प्रणाम आभार प्रतिष्ठित ब्लॉग पर मेरी रचना को स्थान देने केलिए।

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  6. खुशबू तेरे मन की,जबतक न महके
    इस दुनिया से, यूँ वापस न जाना ।
    बहुत मार्मिक ख्वाहिश है शशि भाई। पर रचना बहुत अच्छी 👌👌👌 हार्दिक शुभकामनायें।

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  7. सुंदर पंक्तियाँ

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  8. टूटे सपने हो , झूठे सब वादे
    ज़ख़्मी जिगर तेरा ,उसे न रुलाना।
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, शशी भाई।

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  9. वाह!! सुंदर भावाभिव्यक्ति ।

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  10. जी आभार एवं प्रणाम, उत्साहवर्धन केलिए भी

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  11. बहुत खूब ,लाज़बाब अभिव्यक्ति ,सादर नमन

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  12. ख्वाहिशों का बहाना अच्छा है !
    वाह !

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  13. खुशबू तेरे मन की,जबतक न महके
    इस दुनिया से, यूँ वापस न जाना ।
    वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर...

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  14. जीवन के संघर्ष में अपनों और परायों का पता चल जाता है। इन सबके बाद तो ज़िंदगी रुकती नहीं। चलता रहता है आपकी रचना की तरह कुछ कहते हुए, कुछ करते हुए। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति शशि भाई।

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    1. जी अनिल भैया,
      आपके विश्लेषण से निरंतर उत्साहवर्धन एवं मार्गदर्शन होता है।

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