व्याकुल पथिक
31/3/18
रात्रि में लेखन कार्य मेरे लिये काफी कठिन प्रतीत हो रहा है। कल जो कुछ लिखा,आज सुबह जब देखा तो कुछ भाषाई अशुद्धियां थीं। क्यों कि निंद्रा का प्रभाव बढ़ता जाता है। दो तीन घंटे के कठोर श्रम से शरीर भी थका रहता है। ऐसे में यदि 11 बजे के आसपास कुछ लिखने बैठेंगे,तो स्वभाविक है कि जिस गंभीरता की उम्मीद अपनी लेखनी से चाहता हूं, वैसा हो नहीं पाता। सो, इसके लिये रविवार अथवा अवकाश का दिन कहीं अधिक उचित रहेगा। (शशि)
31/3/18
रात्रि में लेखन कार्य मेरे लिये काफी कठिन प्रतीत हो रहा है। कल जो कुछ लिखा,आज सुबह जब देखा तो कुछ भाषाई अशुद्धियां थीं। क्यों कि निंद्रा का प्रभाव बढ़ता जाता है। दो तीन घंटे के कठोर श्रम से शरीर भी थका रहता है। ऐसे में यदि 11 बजे के आसपास कुछ लिखने बैठेंगे,तो स्वभाविक है कि जिस गंभीरता की उम्मीद अपनी लेखनी से चाहता हूं, वैसा हो नहीं पाता। सो, इसके लिये रविवार अथवा अवकाश का दिन कहीं अधिक उचित रहेगा। (शशि)
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