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Wednesday 30 May 2018

पत्रकारिता दिवस में भावनाओं से भरा वह पल



      यदि हमने निष्ठा, समर्थन और ईमानदारी से अपना काम किया है, तो लक्ष्मी की प्राप्ति हो न हो, पर इतना तो तय है कि समाज में सम्मान और पहचान मिलेगा। इसके लिये हमें  उतावलापन दिखलाने से बचना चाहिए, आज पत्रकारिता दिवस ने मुझे इस बात का पुनः एहसास कराया। जैसा कि मैंने कल ही बताया था कि वर्षों बाद मैं पत्रकारिता दिवस के मौके पर मौजूद रहूंगा। सो, अन्य सारे इधर-उधर के कार्यक्रम छोड़ जिला पंचायत सभाकक्ष में जा पहुंचा। हां, थोड़े देर के लिये इसी बीच पुलिस लाइन मनोरंजन कक्ष में एएसपी नक्सल के प्रेसवार्ता में जाना पड़ा था। दो मामलों का खुलासा पुलिस को जो करना था। अतः अखबार का काम सबसे पहले जरूरी है। बहरहाल, विंध्याचल प्रेस क्लब के इस कार्यक्रम में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, पूर्व विधान परिषद सदस्य आदि तमाम भद्रजन मौजूद रहें। भाषणों का दौर शुरू हुआ, पर यहां दो वक्ताओं ने मेरे दिल को छू लिया।  समाजवादी पार्टी के पूर्व नगर अध्यक्ष लक्ष्मण ऊमर ने बड़ी ही दमदारी से कहा कि यहां एक ऐसे भी पत्रकार शशि जी हैं, जो पूरे स्वाभाविक के साथ पत्रकारिता ही नहीं समाचार पत्र वितरण भी करते हैं। वे मिसाल हैं कि हर कोई पत्रकार दलाल नहीं ...  तो अगले वक्ता रहें  रोहित शुक्ला ' लल्लू'  जो समाजवादी पार्टी के टिकट से बीता विधानसभा चुनाव लड़  चुके हैं, ने मेरी पत्रकारिता पर कहा कि देर शाम उन सबकों व्हाट्सअप पर यह इंतजार रहता है कि गांडीव में उन्होंने आज क्या लिखा है, विशेष कर राजनीति से जुड़े समाचार । मेरा नाम इन दोनों वक्ताओं से सुनकर  मंचासीन अधिकारियों की भी उत्सुकता निश्चित ही मुझे लेकर कुछ बढ़ी होगी। मैं वैसे तो अनावश्यक अफसरों के कार्यालय में आता-जाता नहीं। सो, वे चेहरे से मुझे यदि पहचानते भी हो, तो नाम से नहीं।  फिर जब पत्रकारों को सम्मान देने की बारी आई , तब भी क्लब के सचिव कृष्णा पांडेय ने सबसे पहले मेरा और साथ में बड़े भैया प्रभात मिश्रा का नाम  तमाम पत्रकारों के मौजूद रहते हुये लिया । जिलाधिकारी से इस पत्रकार संगठन का प्रथम सम्मान चिन्ह लेते हुये मुझे इतना तो महसूस हुआ ही कि पच्चीस वर्षों की मेरी तपस्या व्यर्थ नहीं गई है, क्यों कि वहां मौजूद तमाम लोग मुझे बधाई हो कहते दिखें।
         यहां बात सम्मान का नहीं है, वाराणसी में इसके लिये बड़े मंचों मंचों पर कई पत्रकार संगठन मुझे आमंत्रित करते रहे हैं। परंतु मैं साफ तौर पर उनसे कह देता हूं, मुझे कहां वक्त है ! हां, तमाम वरिष्ठ पत्रकारों की मौजूदगी के बावजूद भी सचिव कृष्णा जी ने मुझे जिस तरह से वरियता दी, उससे मैं भावुक हो उठा था।  उनके क्लब के अध्यक्ष अशोक सिंह सहित सारे सदस्य मेरे प्रति वहां आदर भाव दिखा रहा था। उससे कहीं अधिक जो लोग बैठें थें, जिनके दरवाजे- दरवाजे देर रात मैं अखबार पहुंचाता रहा हूं। वे तालियां बजा हर्ष ध्वनि करते दिखें। मित्रों ये बातें मैं अपनी तारीफ के लिये नहीं कह रहा हूं। इस ब्लॉग के माध्यम से आपकों यह बताना चाहता हूं कि देखिए किस तरह से ईमानदारी और कठोर श्रम के साथ किये गये कर्म की कहीं न कहीं तो पूजा होती ही है। बिना उच्च शिक्षा , न  पत्रकारिता की कोई डिग्री और सड़कों पर साइकिल से 11 बजे रात तक अखबार बांटने वाले मुझ जैसे इंसान के प्रति लोगों में कितना  सम्मान और स्नेह है। अब देखें न ब्लॉग लेखन में रेणू जी ने मेरा कितना सहयोग किया। मैं तो उन्हें जानता तक नहीं, न वे भी मुझे जानती हैं। फिर भी  व्यस्तता के बावजूद उन्होंने मेरा मार्ग दर्शन किया। यह जो प्रोत्साहन है न , वह एक टानिक ही तो है। जो स्थाई सम्मान  है, वह पैसे से कभी नहीं मिलेगा बंधुओं। यदि ऐसा होता तो इन तमाम भद्रजनों के मध्य मैं एक अजनबी होता न  !

(शशि)

13 comments:

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  2. कृपया अनगिन लोग पढ़ा जाये | हलती के लिए खेद है |

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  3. आदरणीय शशि भाई -- जितना आप पहले आहत थे उतनी ही ख़ुशी लेकर आया ये अवसर आपके लिए | आपकी ईमानदारी और निष्ठा को पहचाना गया और इसकी सराहना हुई साथ में सम्मान भी मिला तो अंतस की पीड़ा कुछ कम तो जरुर हुई होगी |एक सार्वजनिक मंच पर पारखी लोगों द्वारा सम्मानित होना बहुत सौभाग्य की बात है क्योकि सभी लोग बेईमान नही होते |मेरी हार्दिक शुभकामनाये स्वीकार हों | और रही मेरी बात आप इतना सम्मान दे रहें है निशब्द हो जाती हूँ | बस यही कहूंगी ये हम सबका कर्तव्य है | कल मैं भी अनजान सी ब्लॉग जगत में आई थी | अनेक अपरिचितों ने मुझे आगे बढ़ाया | कल आप भी सहर्ष यूँ ही किसी की मदद करेंगे ऐसा मेरा विश्वास है | आखिर दिए से दिया जलता है | मैं ना ही कहती कोई और आ जाता आपकी मदद के लिए | बस खुश रहिये मस्त रहिये और लिखते रहिये | कम समय में ही अनगिन लोग जुड़ गये हैं आपसे | मेरी शुभकामनाये |

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  4. जी रेणु दी
    लिख तो मैं पच्चीस साल से रहा हूं। यही तो मेरे संकट का सबसे बड़ा कारण है। और अब तो ब्लॉग पर तो कुछ और ही खुलता जा रहा हूं। आप सभी लोगों का इतना स्नेह जो मिल रहा है। सच कहूं, तो इस व्याकुल पथिक को राह मिल गया है, वह है यह ब्लॉग लेखन। शुभ रात्रि

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  5. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/06/72.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  6. शशि भाई आपको हार्दिक बधाई कि आपकी रचना आदरणीय राकेश जी के लिंकों में शामिल हुई
    | आपको भी आभार व्यक्त करने जरुर जाना चाहिए था |

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  7. रेनु दी इसका श्रेय तो मैं आपकों ही देना चाहूंगा , क्यों कि यह व्याकुल पथिक ब्लॉग का जो स्वरुप है, उसकी प्रेरणास्रोत आप हैं, अतः आपको पुनः नमन करता हूं। एक अनजान व्यक्ति के प्रति जो सर्वप्रथम स्नेह दिखा, वे आप रहीं।
    और रही बात राकेश जी की तो वे सचमुच विशाल हृदय के स्वामी हैंं। जैसा , आपने बताया बिल्कुल वैसा ही, क्यों कि मैं पत्रकार भले ही हूं। लेकिन, ब्लॉग लेखन में बिल्कुल ही अनजान हूं। फिर भी उन्होंने मुझे अपना बंधु समझ अपनी इस मंडली में स्थान दिया, तो पत्रकारिता दिवस के बाद यह मेरे लिये एक और बड़ा पुरस्कार है। मैं उनका आभार व्यक्त करना नहीं चाहता, बल्कि उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन चाहता हूं। ताकि मेरी भी राह आसान हो जाए, पथिक जो हूं न दी और जीवन में तमाम उतार चढ़ाव के कारण व्याकुल भी हूं।
    आप सभी मित्र मंडली को मेरा प्रणाम।

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  8. शशि जी, ईमानदारी और मेहनत का फल जरूर मिलता हैं। और वही आपको मिला। बहुत बहुत बधाई। मेरी आपको बहुत सारी शुभकामनाएं हैं कि आप इस तरह आगे बढ़ते रहे...

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  9. जी धन्यवाद , प्रणाम।

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  10. हार्दिक शुभकामनाएँ
    सादर

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  11. जी नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३१ मई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  12. आपकी अथक मेहनत आखिर रंग लाई शशि भाई।
    आप इस के पुरे हकदार हैं। बस सदा यूं ही ध्रुव तारे से
    अपनी आभा फैलाते रहें।
    सस्नेह शुभकामनाएं और बधाई।

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yes