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Friday 8 February 2019

नजरों में कैसी समायी ये दुनिया

नजरों में कैसी समायी ये दुनिया
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नजरों में कैसी समायी ये दुनिया
पलकें उठा कर बिजली गिराती

 उमड़ते  अरमानों को है जलाती
निगाहों में यादें बसाती ये दुनिया

इंसानों को ठगती ,हैवानों को भाती
अपनी सी लगती ,मगर गैर होती

निगाहों में जिसके नहीं है ठिकाना
उम्मीदों के दीपक जलाती बुझाती

रिश्तों में उलझा - सताती ये दुनिया
किस्तों  में दिलको जलाती ये दुनिया

ये सिक्के और पायलों की खनखन
बहका के क्यों बहलाती ये दुनिया

किसी को हँसी दे रुलाती है दुनिया
नजरों में उठा के गिराती है दुनिया

वफाओं को  निगाहों से गिरा के
कातिलों सी  मुस्काती ये दुनिया

सिसकती है यादें सताती है दुनिया
हँसी लबों  की  चुराती  ये  दुनिया

पनाहों में लेकर  - ठोकर क्यों देती
किसी को बसंत किसी को सर्द देती

मुहब्बत का पैगाम सुनाती ये दुनिया
चिता फिर उसकी सजाती ये दुनिया

बुझी राख को सहलाती ये दुनिया
नजरों में कैसी समायी ये  दुनिया

अपने ये जो आँसू खिलते कमल हैं
इसे न सूखा दो ये प्यारी सी दुनिया।

-व्याकुल पथिक







    

18 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-02-2019) को "तम्बाकू दो त्याग" (चर्चा अंक-3243) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. जी धन्यवाद शास्त्री सर ।

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  3. व्वाह...
    बेहतरीन रचना
    दिलखुश
    सादर

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  4. बेहतरीन रचना आदरणीय

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  5. जी प्रणाम यशोदा दी ।

    अनुराधा जी आपकों भी ।

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ११ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  7. वाह बहुत दमदार काव्यात्मक अभिव्यक्ति भाई आपकी बहुत ही शानदार तरीके से बयान किया नजर के हर रूप को।
    सुंदर रचना ।

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  8. अपने ये जो आँसू खिलते कमल हैं
    इसे न सूखा दो ये प्यारी सी दुनिया।
    बहुत ही सुंदर पक्ति...

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  9. धन्यवाद
    कामिनी जी,
    आप सदैव ब्लॉग पर आती हैं।

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  10. बहुत ही सुन्दर हृदयस्पर्शी प्रस्तुति...
    वाह!!!!

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  11. जी प्रणाम।
    कविता तो मुझे आती नहीं,मन का एक भाव है। उत्साहवर्धन के लिये आपके ये शब्द मेरे लिये अमूल्य हैं। प्रणाम।

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  12. वाह !!बेहतरीन रचना आदरणीय
    सादर

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  13. रिश्तों में उलझा - सताती ये दुनिया
    किस्तों में दिलको जलाती ये दुनिया
    ये सिक्के और पायलों की खनखन
    बहका के क्यों बहलाती ये दुनिया !!!!!!!!
    शब्द- शब्द मन की वेदना बही है रचना के रूप में शशी भैया | साहित्य की काव्य विधा में लेखन आपको मुबारक हो |लिखते रहिये मेरी शुभकामनायें आपके साथ रहेंगी |

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  14. आपके कवि रूप से आज वाकिफ हुआ.

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  15. धन्यवाद सलीम भाई
    बस मन का भाव है यह

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