दर्द नया दे चल दिये !
****************
जिन्हें मीत समझा
अजनबी बनाके चल दिये
दिल के फिर टुकड़े हुये
दर्द नया दे चल दिये !
रंग भरने की न सोच
जल जाएगी ज़िंदगी
ताउम्र किसीकी याद में
कटती कहाँ ये ज़िंदगी ?
मयख़ाने तो हैं अनेक
साक़ी मिला ना कोई
जाम जो ऐसा दे पिला
नशा हो न फिर कोई !
ज़ख्मी दिल से ना पूछ
नादानी तेरी किसने सही
ज़ुबां पे न उफ़ किसीकी
बेगाना बना के चल दिये
यतीमों को ठिकाना कहाँ
क़ब्र तक पनाह देती नहीं
आशियाना एक दिल में था
नापाक़ बता के चल दिए !!!!!
-व्याकुल पथिक
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जिन्हें मीत समझा
अजनबी बनाके चल दिये
दिल के फिर टुकड़े हुये
दर्द नया दे चल दिये !
रंग भरने की न सोच
जल जाएगी ज़िंदगी
ताउम्र किसीकी याद में
कटती कहाँ ये ज़िंदगी ?
मयख़ाने तो हैं अनेक
साक़ी मिला ना कोई
जाम जो ऐसा दे पिला
नशा हो न फिर कोई !
ज़ख्मी दिल से ना पूछ
नादानी तेरी किसने सही
ज़ुबां पे न उफ़ किसीकी
बेगाना बना के चल दिये
यतीमों को ठिकाना कहाँ
क़ब्र तक पनाह देती नहीं
आशियाना एक दिल में था
नापाक़ बता के चल दिए !!!!!
-व्याकुल पथिक
बहुत खूब....
ReplyDeleteयतीमों को ठिकाना कहाँ
क़ब्र तक पनाह देती नहीं
आशियाना एक दिल में था
नापाक़ बता के चल दिए !!!!!
जी प्रणाम
ReplyDeleteआप को ब्लॉग पर देख प्रशंता हुई ,आशा करती हूँ अब आप स्वस्थ होंगे,भगवान् से प्रार्थना है आप हमेशा ब्लॉग पर यूँ ही सक्रिय रहे ,एक बार फिर से एक सुंदर रचना की बधाई ,सादर नमस्कार
ReplyDeleteजी स्थिति बहुत ठीक नहीं कामिनी जी, फिर भी मन नहीं लग रहा था , तो रेणु दी को दिखलाने के बाद पोस्ट कर दिया।
ReplyDeleteप्रणाम।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (08-03-2019) को "नारी दुर्गा रूप" (चर्चा अंक-3268) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रणाम, धन्यवाद।
ReplyDeleteजिन्हें मीत समझा
ReplyDeleteअजनबी बनाके चल दिये
दिल के फिर टुकड़े हुये
दर्द नया दे चल दिये !
बहुत ही मार्मिकता के साथ मन की वेदना प्रकट हुई है प्रिय शशि भाई |
जी प्रणाम दी।
ReplyDeleteआशियाना एक दिल में था
ReplyDeleteनापाक़ बता के चल दिए !!!!!
बेहतरीन
सादर
प्रणाम यशोदा दी
ReplyDeleteअच्छी कविता. छायावाद का पूरा प्रभाव है.
ReplyDeleteमन की वेदना शब्दों के माध्यम से दिल को तार तार कर गयी ...
ReplyDeleteसंवदनशील अभिव्यक्ति ...
सभी को प्रणाम ,आशीर्वाद बना रहे।
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