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Thursday 4 April 2019

सवाल जिंदगी से !


सवाल जिंदगी से !
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चलो  जिंदगी  से
 एक  सवाल पूछता हूँ
कौन  अपना कौन पराया ?
 ये राज पूछता  हूँ

खूबसूरत कैनवास तेरा
जब  भी होता बदरंग
  रिश्ते  जिंदगी  के
कैक्टस से देते क्यों चुभन ?

गेंदा,गुलाब,चम्पा,चमेली
है फूल तेरी बगिया में अनेक
 फिर किसी को दे "पलाश"
उसकी प्यास का उपहास क्यों?

प्रीति, स्नेह , वात्सल्य
 तेरे मधुशाला में हैं सब रंग
खो गये  कहाँ स्वपन मेरे
 बोल क्यों दिये तूने ये दण्ड?

ये ज्ञान ,वैराग्य ,दर्शन, धर्म
  ना समझाओं तू मुझको
हुआ क्यों  कोई न अपना ?
आ धैर्य बंधा जाता मुझको

थें हीरे,जवाहरात,मोती,मूंगा
 ना मिले प्रेम के दो शब्द
क्यों भिक्षुक सा पात्र लिये  ?
  बन बटोही भटक रहें हम

फूलों का  हार बन के
  जो न  महके थें कभी
भूलों की  बात  कह
वे  फिर उड़ाते  क्यों  हँसी ?

जिंदगी कर एक उपकार तू
  जब मृत्यु सेज पर हो ये तन
कोई आये यह कह जाए
 दर्द जीवन में क्यों तूने पाये ?

               -व्याकुल पथिक

13 comments:

  1. एकाकी जीवन की विसंगतियों को बखूबी प्रकट किया है आपने...

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  2. जी मीना दी प्रणाम।

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  3. व्वाहहह...
    बेहतरीन..
    सादर..

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  4. जी प्रणाम यशोदा दी।
    आपके मौन आशीर्वाद से मुझे अत्यधिक खुशी मिलती है।

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  5. बेहतरीन भावों से सजी यथार्थ परक रचना

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  6. जी प्रणाम, उत्साहवर्धन के लिये

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  7. गेंदा,गुलाब,चम्पा,चमेली
    है फूल तेरी बगिया में अनेक
    फिर किसी को दे "पलाश"
    उसकी प्यास का उपहास क्यों?

    प्रिय शशी भाई --निष्ठुर जिन्दगी से मार्मिक प्रश्न | पर इन अनुत्तरित प्रश्नो के जवाब किसी के पास नहीं | जिसे विधना ने नियति कहकर नियत किया शायद वो ही इसके जवाब दे पाए |सस्नेह

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  8. इसी नियति की तलाश में तो भटक रहा है पथिक रेणु दी।
    प्रणाम।

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  9. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (6-04-2019) को " नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएं " (चर्चा अंक-3297) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    अनीता सैनी

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  10. आपका बहुत बहुत आभार अनिता बहन।
    प्रणाम।

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  11. सुन्दर रचना

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yes