देखो होली आई सनम
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जागे हम तेरे लिये
आँखों में आँँसू लिये
कहाँ छुप बैठे हो तुम
देखो रात होती सनम
टूटे सपनों से खेले
झूठे ख़्वाबों को लिये
दिया बन जलते रहे
रोशनी फ़िर भी नहीं
राह में चलते रहे
यादों को तेरे लिये
प्रेम जो तुझसे किये
बन के जोगन फिरें
देखो होली आई सनम
रंग ले निकले थे हम
भुला दूँँ कैसे वो पल
श्याम - राधा थे हम
आये नहीं मीत कोई
गाये नहीं गीत कोई
साज़ सब टूट गये
दर्द से भरे नयन
ना तुम मेरे कोई
ना मैं तेरा कोई
दिल ने दिल को छला
जले फ़िर क्यों ये जिया
हँसके ये ज़हर पिये
शूल बन सपने झरे
विरह में भटके मगर
देखो अब तरसे नयन
आओ ना मीत मेरे
देखो ये बोले नयन
आई होली आई सनम
कहाँ छुप बैठे हो तुम
-व्याकुल पथिक
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विरह वेदना (लौकिक/अलौकिक)
यह कल्पना जगत का विषय नहीं हैं, यह वह दर्द है जब हृदय स्वतः पुकार उठता है,।
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जागे हम तेरे लिये
आँखों में आँँसू लिये
कहाँ छुप बैठे हो तुम
देखो रात होती सनम
टूटे सपनों से खेले
झूठे ख़्वाबों को लिये
दिया बन जलते रहे
रोशनी फ़िर भी नहीं
राह में चलते रहे
यादों को तेरे लिये
प्रेम जो तुझसे किये
बन के जोगन फिरें
देखो होली आई सनम
रंग ले निकले थे हम
भुला दूँँ कैसे वो पल
श्याम - राधा थे हम
आये नहीं मीत कोई
गाये नहीं गीत कोई
साज़ सब टूट गये
दर्द से भरे नयन
ना तुम मेरे कोई
ना मैं तेरा कोई
दिल ने दिल को छला
जले फ़िर क्यों ये जिया
हँसके ये ज़हर पिये
शूल बन सपने झरे
विरह में भटके मगर
देखो अब तरसे नयन
आओ ना मीत मेरे
देखो ये बोले नयन
आई होली आई सनम
कहाँ छुप बैठे हो तुम
-व्याकुल पथिक
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विरह वेदना (लौकिक/अलौकिक)
यह कल्पना जगत का विषय नहीं हैं, यह वह दर्द है जब हृदय स्वतः पुकार उठता है,।
आये नहीं मीत कोई
ReplyDeleteगाये नहीं गीत कोई
साज़ सब टूट गये
दर्द से भरे नयन... बहुत ही सुन्दर
सादर
जी प्रणाम।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteना तुम मेरे कोई
ReplyDeleteना मैं तेरा कोई
दिल ने दिल को छला
जले फ़िर क्यों ये जिया
विरह गीत... , बहुत ही भावपूर्ण
जी प्रणाम , अनुराधा जी और कामिनी जी ।
ReplyDeleteव्याकुल पथिक जी के कलम की विरह वेदना निशब्द कर गई..
ReplyDeleteहोली के बहाने से विरह का करुण चित्र प्रस्तुत करती रचना प्रिय शशि भाई | देरी से प्रतिक्रिया के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | सस्नेह --
ReplyDeleteजी दी , आपकी प्रतिक्रिया की सदैव प्रतीक्षा रहती है, क्यों कि इससे मुझे बेहद स्नेह का एहसास होता है।
ReplyDeleteमानों दिल का दर्द शब्द बनकर कागज़ पर उतर आया हो !बहुत खूब
ReplyDelete!
आपकी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई, मैं तो बस इसी से प्रसन्न हूँ।
Deleteसादर प्रणाम।