रंगों का साथ न हो..
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गीतों की बात चली
गीत हम क्यों गाये
राह में मीत मिले
वो ना नज़र आये
टूटे साज़ों को लिये
गीत हम कैसे गाये ?
छेड़ो न दिल को कोई
यादों को नींद आये
रिश्तों की बात छिड़ी
आँखें क्यों भर आयीं
शहनाई बज न सकी
लो तन्हाई संग लाये
दिल की क्या बात करूँ
दर्द जो हम पाये
आईना टूट गया और
हम ना नज़र आये
इश्क़ की बात न हो
फ़िर ये जुदाई कैसी
ग़म का साथ लिये हम
और मिली ये रुसवाई
हुस्न की बात करूँ क्यों
जो जख़्म उभर आये
राह में छोड़ चले जो
वो ना फ़िर आये
रंगों का साथ न हो
तो ये खुशियाँ कैसी
होली भी अब लगती
हमें तो मुहर्रम जैसी
किस्मत उनकी भी है
जिनको न मिली मंज़िल
दरिया में डुबोते वे भी
जिनसे उम्मीदें होतीं
---- व्याकुल पथिक
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गीतों की बात चली
गीत हम क्यों गाये
राह में मीत मिले
वो ना नज़र आये
टूटे साज़ों को लिये
गीत हम कैसे गाये ?
छेड़ो न दिल को कोई
यादों को नींद आये
रिश्तों की बात छिड़ी
आँखें क्यों भर आयीं
शहनाई बज न सकी
लो तन्हाई संग लाये
दिल की क्या बात करूँ
दर्द जो हम पाये
आईना टूट गया और
हम ना नज़र आये
इश्क़ की बात न हो
फ़िर ये जुदाई कैसी
ग़म का साथ लिये हम
और मिली ये रुसवाई
हुस्न की बात करूँ क्यों
जो जख़्म उभर आये
राह में छोड़ चले जो
वो ना फ़िर आये
रंगों का साथ न हो
तो ये खुशियाँ कैसी
होली भी अब लगती
हमें तो मुहर्रम जैसी
किस्मत उनकी भी है
जिनको न मिली मंज़िल
दरिया में डुबोते वे भी
जिनसे उम्मीदें होतीं
---- व्याकुल पथिक
ये सच है साज टूटे हों तो गीत नहीं गाये जाते पर जैसा की राज कपूर कह गए हैं "शो मस्ट गो ओन" ... जीवन है तो सांस लेना भी जरूरी है ... मन न माने तो भी ...
ReplyDeleteउदासी का आभार लिए उलास का पर्व मनाना भी इश्वर की पूजा है ...
होली की शुभकामनायें ...
जी प्रणाम।
ReplyDeleteआपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत खूब ,,किस्मत पे किसी का बस नहीं फिर भी खुशियों जहाँ में कम नहीं,होली की हार्दिक शुभकामनाये शशि जी
ReplyDeleteजी आपको भी कामिनी जी
ReplyDeleteप्रिय शशि भाई जीवन के अधूरेपन के दर्द को आपने बहुत ही मार्मिकता से लिखा है | कोई सांत्वना इस दर्द से मुक्ति दे पाए शायद ये मुमकिन नहीं | फिर भी भगवान आपको इस वेदना के साथ जीने की हिम्मत दे रहा है ये आपकी बहुत बड़ी आत्मशक्ति है | सस्नेह कामनाएं इस जीवटता के लिए |
ReplyDeleteहोली कल हार्दिक शुभकामनाएं रेणु दी।
ReplyDeleteजीवन है, तो संघर्ष भी..
Happy holi..
ReplyDeleteये दर्द भरी होली, रास भला कैसे आए। इस टूटे मन को अपनाए कोई, इस टूटी वीणा संग गाए कोई, इस मन की रंगों संग घुल जाए कोई, रास जरा मन को आ जाए कोई तो रास रचा लूँ जरा सी फिर मनाही वो होली मना लूँ ....
ReplyDeleteसप्रेम नमस्कार व शुभकामनाएँ आदरणीय शशि जी।
जरा सी वो ही मन की होली मना लूँ ।।।।।
ReplyDeleteजी अग्रज
Deleteकोई तो वज़ह होनी चाहिए ख़ुशियाँ मनाने की
ऐसी सुंदर पंक्तियों के साथ आपके इस स्नेह को नमन।