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Tuesday 19 March 2019

रंगों का साथ न हो ..

 रंगों  का  साथ  न  हो..
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गीतों की बात चली
    गीत हम क्यों गाये
राह में मीत मिले
     वो ना नज़र आये

टूटे साज़ों को लिये
   गीत  हम कैसे गाये ?
छेड़ो न दिल को कोई
   यादों  को नींद  आये

रिश्तों  की बात छिड़ी
   आँखें क्यों  भर आयीं
शहनाई बज न सकी
   लो  तन्हाई संग  लाये

दिल की क्या बात करूँ
    दर्द    जो हम    पाये
आईना टूट गया और
    हम ना  नज़र   आये

इश्क़  की बात न हो
  फ़िर   ये  जुदाई  कैसी
ग़म का साथ लिये हम
  और  मिली ये रुसवाई

हुस्न की बात करूँ क्यों
   जो  जख़्म  उभर  आये
राह में छोड़ चले जो
    वो  ना   फ़िर   आये

रंगों  का  साथ  न  हो
   तो  ये  खुशियाँ   कैसी
होली भी अब लगती
   हमें तो  मुहर्रम   जैसी

किस्मत उनकी भी है
  जिनको न मिली मंज़िल
दरिया में डुबोते वे भी
   जिनसे  उम्मीदें  होतीं

        ---- व्याकुल पथिक

10 comments:

  1. ये सच है साज टूटे हों तो गीत नहीं गाये जाते पर जैसा की राज कपूर कह गए हैं "शो मस्ट गो ओन" ... जीवन है तो सांस लेना भी जरूरी है ... मन न माने तो भी ...
    उदासी का आभार लिए उलास का पर्व मनाना भी इश्वर की पूजा है ...
    होली की शुभकामनायें ...

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  2. जी प्रणाम।
    आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. बहुत खूब ,,किस्मत पे किसी का बस नहीं फिर भी खुशियों जहाँ में कम नहीं,होली की हार्दिक शुभकामनाये शशि जी

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  4. जी आपको भी कामिनी जी

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  5. प्रिय शशि भाई जीवन के अधूरेपन के दर्द को आपने बहुत ही मार्मिकता से लिखा है | कोई सांत्वना इस दर्द से मुक्ति दे पाए शायद ये मुमकिन नहीं | फिर भी भगवान आपको इस वेदना के साथ जीने की हिम्मत दे रहा है ये आपकी बहुत बड़ी आत्मशक्ति है | सस्नेह कामनाएं इस जीवटता के लिए |

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  6. होली कल हार्दिक शुभकामनाएं रेणु दी।
    जीवन है, तो संघर्ष भी..

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  7. ये दर्द भरी होली, रास भला कैसे आए। इस टूटे मन को अपनाए कोई, इस टूटी वीणा संग गाए कोई, इस मन की रंगों संग घुल जाए कोई, रास जरा मन को आ जाए कोई तो रास रचा लूँ जरा सी फिर मनाही वो होली मना लूँ ....
    सप्रेम नमस्कार व शुभकामनाएँ आदरणीय शशि जी।

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  8. जरा सी वो ही मन की होली मना लूँ ।।।।।

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    1. जी अग्रज
      कोई तो वज़ह होनी चाहिए ख़ुशियाँ मनाने की



      ऐसी सुंदर पंक्तियों के साथ आपके इस स्नेह को नमन।

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