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Wednesday 1 July 2020

दौर ये कैसा ?


मन के भाव
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प्यार पंछी से जता के
शिकार इंसान का करते हैं।

  दौर ये कैसा देखो यारो 
जहाँ सैयाद मसीहा होते हैं !

आग  घरों में लगा के
जो चैन की नींद सोते हैं।

गज़ब सियासत देखो यारो 
वे  रहनुमा हमारे होते है !

शहतीर पलकों से उठा के
सुई  विषभरी चुभोते  हैं  ।

इंद्रजाल ये कैसा देखो यारो 
हम यहीं मुतमईन होते हैं !

 दुनिया को बहका के जो
 खुद मालामाल होते हैं ।

जमाना ये कैसा देखो यारो
वे ही  पीर-फ़क़ीर होते हैं !

हंगामा खड़ा करके जो  
फ़िर पर्दे में मुसकुराते  हैं।

खेल कलयुग का देखो यारो 
वे सच्चे साहित्यकार होते हैं !

पहचान पथिक इन्हें तनिक ,
 भरोसा इनपे नहीं करते हैं ।

अनजान दर्द से आँखों के 
पर क़लम के महान होते हैं !

- व्याकुल पथिक


     

25 comments:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार
    (03-07-2020) को
    "चाहे आक-अकौआ कह दो,चाहे नाम मदार धरो" (चर्चा अंक-3751)
    पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।

    "मीना भारद्वाज"

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  2. बेहतरीन काव्य रचना !
    " प्यार पंछी से जता के
    शिकार इंसान का करते हैं।
    "दौर ये कैसा देखो यारो
    जहाँ सैयाद मसीहा होते हैं...." कविता का आरम्भ ही विषय की गहराई को बता देता है । अत्यंत सराहनीय रचना !

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    1. बस प्रवीण जी,
      अभी ककहरा सीखने वाली स्थिति में हूँ।
      मन में कुछ आता है तो कम शब्दों में लिखने का प्रयत्न कर रहा हूँ।

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, शशि भाई।

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  4. बहुत सुन्दर और सार्थक रचना।

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  5. चापलूसी और चाटुकारिता की राजनीति पर चोट करती रचना

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  6. हंगामा खड़ा करके जो
    पर्दे में मुसकुराते हैं।
    अनजान दर्द से आँखों के
    पर क़लम के महान होते हैं !
    समाज के छद्म चरित्र को उजागर करती तीखे तेवर की रचना शशि भैया। लिखते रहिये। मेरी शुभकामनायें💐💐🙏💐💐

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  7. बहुत सुंदर पंक्तियाँ। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  8. सटीक और समसामयिक

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  9. अनजान दर्द से आँखों के पर कलम के महान होते हैं ..वाह

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  10. प्यार पंछी से जता के
    शिकार इंसान का करते हैं।
    बहुत खूब ,सादर नमन

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  11. बहुत खूबसूरत रचना

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  12. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, सटीक और समसामयिक

    शुभकामनायें

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  13. प्यार पंछी से जता के✍ शिकार इंसान का करते हैं यह रचना बहुत बेहतरीन लगा दिल को छूने वाली रचना है🙏 आप वास्तव में कलम के महान जादूगर हैं मां शेरावाली की विशेष कृपा आपके ऊपर है ढेर सारी शुभकामनाएं🙏 जादूगर रतन कुमार😊

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  14. दौर ये कैसा? समसामयिक समाज की सटीक एवं ज्वलंत रचना है, जिसकी उड़ान बहुत ऊँची है। ऐसी कवितायें लिखते रहें। - राधेश्याम विमल
    ***

    *हमारी आँखें प्रायः वही लोग खोलते हैं,*
    *जिनके ऊपर हम आँख बंद करके*
    *विश्वास करते हैं !*

    सत्य को लिपिबद्ध करते हुए समयानुसार मार्मिक वर्णन किया गया है 🙏🏻
    आनंद कुमार पत्रकार
    ***
    Ashirvad bhaiya jee Shashi Jee. It's real good for all. 🌹✋🏻🤚🏻
    गुलाबचंद्र तिवारी पूर्व प्रवक्ता

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  15. आज के वर्तमान हालात पर आपका यह विचार सटीक एवं सारगर्भित होने के साथ ही साथ व्यक्ति, व्यवस्था में व्याप्त खामियों और दूरियों को भी साफ तौर पर प्रदर्शित कर रहा है। कि किस प्रकार इंसान इंसान से ही कटता जा रहा है, "आप" की जगह "तुम" और "वह" ने जगह ले ली है।
    -संतोष कुमार गिरी, पत्रकार।

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  16. बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति शशि भाई 👌

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yes