देखो होली आई सनम
*****************
जागे हम तेरे लिये
आँखों में आँँसू लिये
कहाँ छुप बैठे हो तुम
देखो रात होती सनम
टूटे सपनों से खेले
झूठे ख़्वाबों को लिये
दिया बन जलते रहे
रोशनी फ़िर भी नहीं
राह में चलते रहे
यादों को तेरे लिये
प्रेम जो तुझसे किये
बन के जोगन फिरें
देखो होली आई सनम
रंग ले निकले थे हम
भुला दूँँ कैसे वो पल
श्याम - राधा थे हम
आये नहीं मीत कोई
गाये नहीं गीत कोई
साज़ सब टूट गये
दर्द से भरे नयन
ना तुम मेरे कोई
ना मैं तेरा कोई
दिल ने दिल को छला
जले फ़िर क्यों ये जिया
हँसके ये ज़हर पिये
शूल बन सपने झरे
विरह में भटके मगर
देखो अब तरसे नयन
आओ ना मीत मेरे
देखो ये बोले नयन
आई होली आई सनम
कहाँ छुप बैठे हो तुम
-व्याकुल पथिक
************************
विरह वेदना (लौकिक/अलौकिक)
यह कल्पना जगत का विषय नहीं हैं, यह वह दर्द है जब हृदय स्वतः पुकार उठता है,।
*****************
जागे हम तेरे लिये
आँखों में आँँसू लिये
कहाँ छुप बैठे हो तुम
देखो रात होती सनम
टूटे सपनों से खेले
झूठे ख़्वाबों को लिये
दिया बन जलते रहे
रोशनी फ़िर भी नहीं
राह में चलते रहे
यादों को तेरे लिये
प्रेम जो तुझसे किये
बन के जोगन फिरें
देखो होली आई सनम
रंग ले निकले थे हम
भुला दूँँ कैसे वो पल
श्याम - राधा थे हम
आये नहीं मीत कोई
गाये नहीं गीत कोई
साज़ सब टूट गये
दर्द से भरे नयन
ना तुम मेरे कोई
ना मैं तेरा कोई
दिल ने दिल को छला
जले फ़िर क्यों ये जिया
हँसके ये ज़हर पिये
शूल बन सपने झरे
विरह में भटके मगर
देखो अब तरसे नयन
आओ ना मीत मेरे
देखो ये बोले नयन
आई होली आई सनम
कहाँ छुप बैठे हो तुम
-व्याकुल पथिक
************************
विरह वेदना (लौकिक/अलौकिक)
यह कल्पना जगत का विषय नहीं हैं, यह वह दर्द है जब हृदय स्वतः पुकार उठता है,।