ख़्वाहिश
****
(जीवन की पाठशाला )
मस्ती भरी दुनिया में, छेड़ो तराना
जो नहीं हैं , उनको भूल जाना ।
था छोटा-सा घर,अब न ठिकाना
मुसाफ़िर हो तुम, बढ़ते ही जाना।
मन की उदासी से,खुद को बहलाना
ग़ैरों की महफ़िल ,खुशियाँ न चाहना।
मिलते है लोग, करके ठिठोली
अपना न कोई , है कैसा जमाना !
राज जो भी हो, दिल में छुपाना
बनके तमाशा, तुम जग को हँसाना।
खुशबू तेरे मन की,जबतक न महके
इस दुनिया से, यूँ वापस न जाना ।
टूटे सपने हो , झूठे सब वादे
ज़ख़्मी जिगर तेरा ,उसे न रुलाना।
देखो जरा तुम , किसने पुकारा
ये ख़्वाहिश है तेरी,या झूठा बहाना !!!
- व्याकुल पथिक
****
(जीवन की पाठशाला )
मस्ती भरी दुनिया में, छेड़ो तराना
जो नहीं हैं , उनको भूल जाना ।
था छोटा-सा घर,अब न ठिकाना
मुसाफ़िर हो तुम, बढ़ते ही जाना।
मन की उदासी से,खुद को बहलाना
ग़ैरों की महफ़िल ,खुशियाँ न चाहना।
मिलते है लोग, करके ठिठोली
अपना न कोई , है कैसा जमाना !
राज जो भी हो, दिल में छुपाना
बनके तमाशा, तुम जग को हँसाना।
खुशबू तेरे मन की,जबतक न महके
इस दुनिया से, यूँ वापस न जाना ।
टूटे सपने हो , झूठे सब वादे
ज़ख़्मी जिगर तेरा ,उसे न रुलाना।
देखो जरा तुम , किसने पुकारा
ये ख़्वाहिश है तेरी,या झूठा बहाना !!!
- व्याकुल पथिक