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Monday 20 January 2020

ख़्वाहिश

ख़्वाहिश
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(जीवन की पाठशाला )

मस्ती भरी दुनिया में, छेड़ो तराना

 जो नहीं हैं , उनको भूल जाना ।

था छोटा-सा घर,अब न ठिकाना

 मुसाफ़िर हो तुम, बढ़ते ही जाना।

मन की उदासी से,खुद को बहलाना

ग़ैरों की महफ़िल ,खुशियाँ न चाहना।

मिलते है लोग, करके ठिठोली

अपना न कोई , है कैसा जमाना !

राज जो भी हो, दिल में छुपाना

बनके तमाशा, तुम जग को हँसाना।

खुशबू तेरे मन की,जबतक न महके

 इस दुनिया से, यूँ वापस न जाना ।

टूटे  सपने  हो , झूठे सब वादे

ज़ख़्मी जिगर तेरा ,उसे न रुलाना।

देखो जरा तुम , किसने पुकारा

ये ख़्वाहिश है तेरी,या झूठा बहाना !!!

  - व्याकुल पथिक