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Friday 25 May 2018

कोई निशानी छोड़ , फिर दुनिया से डोल



     ब्लॉग लेखन के दौरान जिस तरह से जाने -अनजाने मित्र बंधु और शुभचिंतक मेरा उत्साहवर्धन कर रहे हैं, मैं कभी कभी तो भावविह्वल हो उठता हूं। ढ़ाई दशक पत्रकारिता में गुजारा हूं, परंतु ऐसी अनुभूति कभी नहीं हुई। हां, अखबार से एक पहचान मिली और  अन्य सारे संबंध समयाभाव में टूट गये।इसी पीड़ा को मैंने पहली बार तब सार्वजनिक रुप से व्यक्त किया था, जब इस वर्ष जनवरी में एक वैवाहिक कार्यक्रम में नहीं जा सका था।  जिनके यहां करीब दो वर्षों तक रहा, उन्हीं के इकलौते पुत्र की शादी थी...आपकों बता दूं कि उनकी मौन उलाहना ने मुझे इस तरह व्याकुल कर दिया था कि इस ब्लॉग के जन्म के बाद कुछ अपने तो हंसी ठिठोली में यह भी कह दिया करते है कि  कैसे हो व्याकुल पथिक जी ... एक हताश, निराश और नादान लेखक के तौर पर मैंने तब ब्लॉग लेखन शुरु किया था। इस अवसाद से बाहर निकल अपनी लेखन यात्रा में तनिक आगे बढ़ा तो विचार आया कि पत्रकारिता पर कुछ लिखना चाहिए, कोई तो संदेश दूं युवा पत्रकारों को , फिर मैंने ऐसा ही किया। पर एक बड़ा सवाल मेरे सामने यक्ष प्रश्न बना खड़ा है, वह है हम पत्रकारों पर नैतिकता की भारी गठरी यह समाज लादने को आतुर रहता है, परंतु हमारे पेट की आग कैसे बुझे, गृहस्थी की गाड़ी कैसे पटरी पर बनी रहे। इसे भी कभी सोचा क्या आप सभी ने ...
   हां , अमृत कलश से पहले निकलने वाले हलाहल को किसी न किसी को इस समाज में जनकल्याण के लिये पीना ही पड़ता है। जो , निस्वार्थ भाव से जो ऐसा करता है, वह सुर और असुर  से ऊपर उठ महादेव बन जाता है...
   बता दें कि 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस की तैयारी यहां पत्रकार संगठनों द्वारा चल रही है। एक पत्रकार संगठन जिसमें प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक चैनल और प्रिंट मीडिया  के रिपोर्टर शामिल हैं , ने  मुझे और मेरे मित्र प्रभात भैया से अनुरोध किया कि आप दोनों इस पत्रकार संगठन के संरक्षक बन जाए। वैसे, तो मैं पत्रकारों के संगठनों से दूर रहता हूं। परंतु मनीष और सुरेश भाई के स्नेह भरे अनुरोध को ठुकरा न पाया। हमारे संगठन के संरक्षक मंडल में प्रभात मिश्र राष्ट्रीय सहारा ,शशि गुप्ता गांडीव के अतिरिक्त मनीष सिंह सहारा समय -अध्यक्ष ,प्रशांत यादव अमर उजाला -सचिव,  संजय दूबे जन संदेश-वरिष्ठ उपाध्यक्ष, मेराज खान इंडिया टीवी- कनिष्ठ उपाध्यक्ष, देव गुप्ता हिंदुस्तान- कोषाध्यक्ष व मीडिया प्रभारी चुने गये। बैठक में इंद्रेश पांडेय NDTV ,सुरेश सिंह आज तक,शिव तिवारी लाइव इंडिया,राजन गुप्ता लाइव न्यूज़,जेपी पटेल समाचार प्लस,सुमित गर्ग  न्यूज -18 बृजलाल मौर्य हिंदी खबर,आफताब आलम, इमरान सदस्य हैं। प्रभात जी को छोड़ सभी मुझसे काफी छोटे हैं।
...इस उम्र में हमारा भी कर्तव्य है स्वयं आगे बढ़ने की जगह जो हमसे छोटे मित्र बंधु हैं  , उन्हें आगे बढ़ाये। उनके लिये उचित स्थान और वातावरण तैयार करें। मुझे किसी कार्यक्रम में कोई जबरन आगे का सीट कब्जा करते नहीं  देखेंगे फिर भी जिन्हें पहचानना होता है वे फर्क समझ जाते हैं। अब इस पत्रकार संगठन की ही बात ही लें न सामूहिक फोटोग्राफ लेते समय अध्यक्ष मनीष भाई और संरक्षक प्रभात जी ने पुकारा कि शशि भैया फोट अपने ग्रुप की हो जाए। आप फोटोग्राफ में देख सकते हैं कि मैं उनके साथ था, पर आगे की पंक्ति में जाने के लिये या फिर फोटो में चेहरा दिखलाने को लेकर मुझमें कोई उतावलापन नहीं दिख रहा यहां भी। यही आपकी वरिष्ठता है... युवा पीढ़ी के लिये हम प्रौढ़ लोगों को स्थान छोड़ना ही होगा, अपने अधिकारों में कटौती भी करनी होगी, हमे दर्पण बनना होगा और इनका मार्गदर्शन करना होगा। यह हमारी समाज के प्रति जिम्मेदारी है। इस सूत्र में हर संबंधों की सफलता का राज है। चाहे वह परिवार की हो या फिर समाज ... मेरा मानना है कि एक खूबसूरत मोड़ पर और कोई निशानी छोड़, हमें अपनी जीवन यात्रा पूरी करनी चाहिए। इस ब्लॉग के माध्यम से ऐसा ही एक प्रयास कर रहा हूं। बड़ा प्यारा है यह गीत ..

 दूजे के होंठों को देकर अपने गीत कोई निशानी छोड़ , फिर दुनिया से डोल...
(शशि)