संत रविदास जी
की
जयंती पर
नमन एवं वंदन
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मंजिल ढ़ूंढे, दर-दर भटके ;
पथिक , कहाँ तुझे जाना ।
है तेरा कौन ठिकाना ?
दे हृदय पर ताला ।
आयो बसंत, फुले पलाश;
जगमग हुआ मधुशाला ।
पथिक, तू न प्रेम बढ़ाना ;
दे हृदय पर ताला ।
प्रीति की रीति न जाने कोई;
बनिये सा व्यापार नहीं होई।
पथिक , फिर ना पछताना;
दे हृदय पर ताला।
हँसी-ठिठोली करे जो सखियाँ;
पथिक , ना तू भरमाना ।
तुझे साजन संग है जाना;
दे हृदय पर ताला ।
फगुवा बहे, हिय जब झुलसे ;
जेठ से प्यास बुझाना ।
पथिक , ना तू घबड़ाना;
दे हृदय पर ताला ।
होनी करे, सब खेल निराला;
माटी का पुतला जग सारा ।
पथिक, फिर काहे पछताना;
दे हृदय पर ताला।
प्रेम नगर का ठौर ठिकाना;
तुझे पता जहाँ है जाना ।
धीरज रख ,मन बहलाना;
दे हृदय पर ताला।
सतगुरु मिले जान न पाया;
माया ने तुझको भटकाया ।
पथिक ,अब न नाच दिखाना;
दे हृदय पर ताला।
जग भोगी, तू जोग में हुलसे ;
न मंदिर , ना मस्जिद जाना ।
पथिक !किसका है तू दीवाना;
दे हृदय पर ताला।
जाग पथिक, मिलेंगे प्रियतम ;
हिय कठोती,ज्यों गंग समाना।
सतनाम का अलख जगाना;
खोल हृदय का ताला ।
-व्याकुल पथिक
की
जयंती पर
नमन एवं वंदन
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मंजिल ढ़ूंढे, दर-दर भटके ;
पथिक , कहाँ तुझे जाना ।
है तेरा कौन ठिकाना ?
दे हृदय पर ताला ।
आयो बसंत, फुले पलाश;
जगमग हुआ मधुशाला ।
पथिक, तू न प्रेम बढ़ाना ;
दे हृदय पर ताला ।
प्रीति की रीति न जाने कोई;
बनिये सा व्यापार नहीं होई।
पथिक , फिर ना पछताना;
दे हृदय पर ताला।
हँसी-ठिठोली करे जो सखियाँ;
पथिक , ना तू भरमाना ।
तुझे साजन संग है जाना;
दे हृदय पर ताला ।
फगुवा बहे, हिय जब झुलसे ;
जेठ से प्यास बुझाना ।
पथिक , ना तू घबड़ाना;
दे हृदय पर ताला ।
होनी करे, सब खेल निराला;
माटी का पुतला जग सारा ।
पथिक, फिर काहे पछताना;
दे हृदय पर ताला।
प्रेम नगर का ठौर ठिकाना;
तुझे पता जहाँ है जाना ।
धीरज रख ,मन बहलाना;
दे हृदय पर ताला।
सतगुरु मिले जान न पाया;
माया ने तुझको भटकाया ।
पथिक ,अब न नाच दिखाना;
दे हृदय पर ताला।
जग भोगी, तू जोग में हुलसे ;
न मंदिर , ना मस्जिद जाना ।
पथिक !किसका है तू दीवाना;
दे हृदय पर ताला।
जाग पथिक, मिलेंगे प्रियतम ;
हिय कठोती,ज्यों गंग समाना।
सतनाम का अलख जगाना;
खोल हृदय का ताला ।
-व्याकुल पथिक