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Tuesday 11 February 2020

प्रीति का ये कैसा रंग ..!



प्रीति का ये कैसा रंग ..!
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" जान ! ये मेरा आखिरी वैलेंटाइन डे है।"

     मोबाइल पर बात करते हुये सोनाक्षी कुछ इसतरह रुआँसी हो गयी थी कि सुमित तड़प उठा था। 
   उसने खुद को संभालते हुये कहा- " यूँ उदास न हो ,मेरे मनमंदिर में तुम सदैव रहोगी।"

 सोनाक्षी- "  मैं तो अगले वर्ष बहुत दूर चली जाऊँगी, परंतु तुम..?"

 सुमित-  " तुम्हारी ये तस्वीर है न..ताउम्र साथ निभाएगी .. । "

  सोनाक्षी-  " तुम भी न जान ,  पागल कहीं के .. काश ! मैं हमेशा केलिए तुम्हारी हो पाती ..।" 
   
  【 ठीक एक वर्ष बाद पुनः वैलेंटाइन डे पर..】

      उदास सुमित मन की थकान मिटाने एक कॉफी हाउस में इंट्री करता है। तभी उसकी निगाहें पीछे की कुर्सी पर बैठी बादामी रंग का शूट पहने एक युवती पर जा टिकती हैं । हाथ में कॉफी का कप लिये खिलखिला रही उस लड़की को वह फटी आँखों से देखते रह जाता है..। 

 " अरे ! ये तो सोनाक्षी ही है। और साथ में यह युवक कौन है ? "

 " केशव के फोटो से तो इसकी शक्ल मिलती नहीं है.. फिर कौन है ? "

   जो दृश्य वहाँ देखा उसपर विश्वास नहीं कर पा रहा था सुमित..। 

    और फिर अगले दिन हृदय के बोझ को कम करने केलिए वह सोनाक्षी को फोन करता है। 

 " अच्छा- अच्छा , तो तुम हमारी जासूसी करने लगे हो..।"

    क्रोध से तमतमाई सोनाक्षी का ऐसा कठोर स्वर सुनकर स्तब्ध रह गया था सुमित..। 

    सोनाक्षी -  " अब देख ही लिया ,तो सुनो ..ये मेरा नया ब्वॉयफ्रेंड है..।"

 " पर- पर , तुमने तो कहा था कि मेरे अलावा और किसी से बात तक नहीं करती हो.. तुम्हारी तो केशव से शादी होनी है ? .. और मुझे जो जान  कह ' आई लव यू ' कहा करती थी , वह सब .. ? " 

   भारी हताशा में सुमित ने एक ही सांस में सारे प्रश्न  पूछ डाले..।

  किन्तु प्रतिउत्तर में सोनाक्षी जोर से ठहाका लगाती है.. ।

  "  क्यों बच्चों जैसी बात करते हो जासूस महोदय ..तुम मेरे हो कौन यह सब पूछने वाले.. ? 
एक बात कान खोल कर सुन लो , यह जो मेरा नया ब्वायफ्रेंड है न , मैं इसकी बीवी भी नहीं बनने जा रही हूँ ..मेरा विवाह तो उसी बड़े घराने में होगा , जहाँ अभिभावकों ने तय कर रखा है। इकलौती बेटी और अपने घर की इज्ज़त जो हूँ मैं ?   

   और हाँ, सुनो यार  ! ..यह दुनिया मौज मस्ती की है। तुम भी मेरे लिए टाइम पास थे और यह भी है  .. ओपेन मांइड के हैं हम ..। "

    सोनाक्षी ने बिना किसी ग्लानि के जिस उपहास भरे लहजे में उसके निर्मल प्रेम का पोस्टमार्टम कर दिया , उस वेदना से तड़प उठता था सुमित..।

    उसके जीवन में अब फिर कभी वैलेंटाइन डे नहीं आएगा  ..।
   
      -© व्याकुल पथिक