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Wednesday 6 March 2019

दर्द नया दे चल दिये !

दर्द नया दे चल दिये !
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जिन्हें   मीत समझा
अजनबी बनाके चल दिये
  दिल के फिर टुकड़े हुये
दर्द नया दे चल दिये !

रंग भरने की न सोच
  जल जाएगी ज़िंदगी
ताउम्र किसीकी याद में
  कटती कहाँ ये ज़िंदगी ?

मयख़ाने तो हैं अनेक
  साक़ी     मिला ना  कोई
जाम जो ऐसा दे पिला
नशा हो न फिर कोई !

ज़ख्मी दिल से ना पूछ
  नादानी तेरी किसने सही
ज़ुबां पे न उफ़ किसीकी
 बेगाना बना के चल दिये

यतीमों को ठिकाना कहाँ
  क़ब्र तक   पनाह देती नहीं
आशियाना एक दिल में था
नापाक़ बता के चल दिए  !!!!!

           -व्याकुल पथिक