तुम खुश हो न ..
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देकर तनिक प्यार दुलार
बंद हो जाते सबके द्वार
पथिक फिर करता पुकार
बोलो ! तुम खुश हो न ?
दे दो पल बातों का साथ
करते हैं वे क्यों उपहास
विकल हृदय करता चीत्कार
बोलो ! तुम खुश हो न ?
दोस्ती पर करके विश्वास
करता वह जिनका इंतजार
मिलता जब उनसे दुत्कार
बोलो! तुम खुश हो न ?
सपनों का मंदिर हो वीरान
भ्रमित है जिसका पुरुषार्थ
तेजहीन-बलहीन वो इंसान
बोलो ! तुम खुश हो न ?
कौन है ऐसा निगेहबान
रंज-ओ- ग़म में देता साथ
दिल में जगी ये कैसी आस
बोलो ! तुम खुश हो न ?
न प्यार भरे आंचल का छांव
न हमदर्दी के मीठे बोल
अश्रु भी है उसके ढोंग !
बोलो ! तुम खुश हो न ?
सह न सका वो यह परिहास
झूठे अनुबंधों का साथ
हिय में लगी फिर कैसी आग
बोलो ! तुम खुश हो न ?
मन में दृढ़ता का हो प्रकाश
कर जोगी सा वह सिंगार
किया तप्त शिला पर प्रवास
बोलो ! तुम खुश हो न ?
कांप उठा तब दुर्बल काया
कठोर कर्म उसे न भाया
लौट के बुद्धू वापस आया
बोलो ! तुम खुश हो न ?
था आँखोंं में अंधेरा छाया
स्नेहिल स्पर्श फिर ना पाया
मृत्यु ने उसको ठुकराया
बोलो ! तुम खुश हो न ?
- व्याकुल पथिक
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देकर तनिक प्यार दुलार
बंद हो जाते सबके द्वार
पथिक फिर करता पुकार
बोलो ! तुम खुश हो न ?
दे दो पल बातों का साथ
करते हैं वे क्यों उपहास
विकल हृदय करता चीत्कार
बोलो ! तुम खुश हो न ?
दोस्ती पर करके विश्वास
करता वह जिनका इंतजार
मिलता जब उनसे दुत्कार
बोलो! तुम खुश हो न ?
सपनों का मंदिर हो वीरान
भ्रमित है जिसका पुरुषार्थ
तेजहीन-बलहीन वो इंसान
बोलो ! तुम खुश हो न ?
कौन है ऐसा निगेहबान
रंज-ओ- ग़म में देता साथ
दिल में जगी ये कैसी आस
बोलो ! तुम खुश हो न ?
न प्यार भरे आंचल का छांव
न हमदर्दी के मीठे बोल
अश्रु भी है उसके ढोंग !
बोलो ! तुम खुश हो न ?
सह न सका वो यह परिहास
झूठे अनुबंधों का साथ
हिय में लगी फिर कैसी आग
बोलो ! तुम खुश हो न ?
मन में दृढ़ता का हो प्रकाश
कर जोगी सा वह सिंगार
किया तप्त शिला पर प्रवास
बोलो ! तुम खुश हो न ?
कांप उठा तब दुर्बल काया
कठोर कर्म उसे न भाया
लौट के बुद्धू वापस आया
बोलो ! तुम खुश हो न ?
था आँखोंं में अंधेरा छाया
स्नेहिल स्पर्श फिर ना पाया
मृत्यु ने उसको ठुकराया
बोलो ! तुम खुश हो न ?
- व्याकुल पथिक