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Tuesday 14 May 2019

तुम खुश हो न..

तुम खुश हो न ..
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देकर तनिक प्यार दुलार
बंद हो जाते सबके द्वार
पथिक फिर करता पुकार
 बोलो ! तुम खुश हो न ?

 दे दो पल बातों का साथ
करते  हैं वे  क्यों उपहास
विकल हृदय करता चीत्कार
बोलो ! तुम खुश हो न ?

दोस्ती पर करके विश्वास
करता वह जिनका इंतजार
  मिलता जब उनसे दुत्कार
बोलो! तुम खुश हो न ?

सपनों का मंदिर हो वीरान
भ्रमित है जिसका पुरुषार्थ
तेजहीन-बलहीन  वो इंसान
बोलो ! तुम खुश हो न ?

कौन है ऐसा निगेहबान
 रंज-ओ- ग़म में देता साथ
दिल में जगी ये कैसी आस
बोलो ! तुम खुश हो न ?

न प्यार भरे आंचल का छांव
न हमदर्दी के  मीठे बोल
अश्रु भी  है उसके ढोंग !
बोलो ! तुम खुश हो न ?

सह न सका वो यह परिहास
 झूठे अनुबंधों का साथ
हिय में लगी फिर कैसी आग
बोलो ! तुम खुश हो न ?

मन में दृढ़ता का हो प्रकाश
 कर जोगी सा वह सिंगार
किया तप्त शिला पर प्रवास
  बोलो ! तुम खुश हो न ?

कांप उठा तब दुर्बल काया
कठोर कर्म उसे न भाया
लौट के  बुद्धू वापस आया
 बोलो ! तुम खुश हो न ?

था आँखोंं में अंधेरा छाया
स्नेहिल स्पर्श फिर ना पाया
 मृत्यु ने उसको ठुकराया
 बोलो ! तुम खुश हो न ?

     - व्याकुल पथिक