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Thursday 27 February 2020

क्यों कैक्टस बना ..?

क्यों कैक्टस बना ?
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मरुस्थल में पला
 काँटों  से  बना       
कैक्टस-सा बढ़ा
औषधि से हूँ भरा।     

पतझड़ में रहा अड़ा
वैसे ही अचल खड़ा
वक़्त जैसा भी रहा
 रंग मेरा सम रहा ।

सही प्यास उर की
तपिस से नहीं डरा
हर सांस लड़ता रहा
ज़िंदा पर मैं रहा ।

दुष्काल जब  पड़ा
 आहार तब मैं बना
फिर ऐसा क्या हुआ ?
बेगानों में था खड़ा ।

झूठा-सा सबकों लगा
आँखों में उनकी गड़ा
छल अपनों का सहा
क्यों मैं कैक्टस बना ?

फूल मुझपे भी रहा
लाल रक्त-सा खिला
बागवां न कोई मिला
संघर्ष क्यों व्यर्थ गया ?

उपकार से रहा भरा
सबकी बुराई को हरा
दुत्कार फिर भी सहा
अभिनंदन से दूर रहा ?

दाना-पानी के बिना
 भूरे वन में रहा हरा
जिजीविषा येही मेरी
एक सुंदर सच रहा..!!!

        - व्याकुल पथिक