ग़म तुझे क्यों यह ख़्याल आया
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ग़म तुझे क्यों यह ख़्याल आया
खुशियों से हुई मुलाकात जो याद आया
रंगीन है महफ़िल और ये दुनियाँ भी
दर्द सीने में फ़िर दबाए क्यों रखा है
चलते रहेंं ना मिली मंज़िल फ़िर भी
देखो हर मोड़ पर ज़ख्म इक नया पाया
खुशियों की बात छिड़ी,सुन ले ये ग़म
दर्द ये पा के अपनोंं को समझ पाया
जो दिखते हैं वैसे वो होते तो नहीं
इंसानों की फितरत ना कभी समझ पाया
ये ज़श्न ये महफ़िल और हैंं खुशियाँ भी
फ़िर तुझे क्यों बेवफ़ाई का ख़्याल आया
हाल दिल का बता दे हम ग़ैर नहीं
फ़र्क इतना हम दिखते,तुम छिपते नहीं
जलती शमा को बुझाने की ना सोच
देख तेरे ख़्वाब में परवरदिगार आया
वक़्त होगा तेरा अभी और ग़मगीन
खुशनसीबी का नहीं कोई क़रार आया
बेक़रारी अब कैसी मिले हमदम तुझे
देख तेरे जनाज़े का वो साज़ आया
ग़म तुझे क्यों यह ख्याल आया
ग़ैरों का क्या,अपनोंं का ना जवाब आया
- व्याकुल पथिक
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ग़म तुझे क्यों यह ख़्याल आया
खुशियों से हुई मुलाकात जो याद आया
रंगीन है महफ़िल और ये दुनियाँ भी
दर्द सीने में फ़िर दबाए क्यों रखा है
चलते रहेंं ना मिली मंज़िल फ़िर भी
देखो हर मोड़ पर ज़ख्म इक नया पाया
खुशियों की बात छिड़ी,सुन ले ये ग़म
दर्द ये पा के अपनोंं को समझ पाया
जो दिखते हैं वैसे वो होते तो नहीं
इंसानों की फितरत ना कभी समझ पाया
ये ज़श्न ये महफ़िल और हैंं खुशियाँ भी
फ़िर तुझे क्यों बेवफ़ाई का ख़्याल आया
हाल दिल का बता दे हम ग़ैर नहीं
फ़र्क इतना हम दिखते,तुम छिपते नहीं
जलती शमा को बुझाने की ना सोच
देख तेरे ख़्वाब में परवरदिगार आया
वक़्त होगा तेरा अभी और ग़मगीन
खुशनसीबी का नहीं कोई क़रार आया
बेक़रारी अब कैसी मिले हमदम तुझे
देख तेरे जनाज़े का वो साज़ आया
ग़म तुझे क्यों यह ख्याल आया
ग़ैरों का क्या,अपनोंं का ना जवाब आया
- व्याकुल पथिक