प्रदूषण करता अट्टहास
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प्रदूषण दशानन सा करता अट्टहास
दसों दिशाओं में हैं जिसका प्रताप
है कोई मर्यादापुरुषोत्तम ?
रण में दे उसे ललकार ।
रक्तबीज सा गगन में करता प्रलाप
भूमंडल पर निरंतर जिसका विस्तार
है कोई महाकाली ?
करे उसका रूधिरपान ।
दक्षराज सा बढ़ता जिसका अभिमान
सती होती प्रकृति , असहनीय संताप
है कोई वीरभद्र ?
करे उसका संघार ।
जनसेवकों की वाणी में करता निवास
शकुनि सा जिसका कपट जाल
है कोई कृष्ण ?
दे गीता का ज्ञान ।
भ्रष्टतंत्र का कर नित्य नव श्रृंगार
प्रदूषण हिंसा को देता उपहार
है कोई गांधी ?
करे फिर अहिंसा पाठ ।
वसुंधरा का"मानव"करता कुटिल मंथन
वासुकी सा फुफकार प्रदूषण
है कोई नीलकंठ ?
हलाहल का करे पान ।
सागरपुत्रों सा दिग्विजय का लेके प्रण
कपिल का तप ध्वनि प्रदूषण से किया भंग
भस्म हुईं महत्वाकांक्षाएँ अनंत
न मानव रहा, न उसका यंत्र ?
रे हतभाग्य ! किया सृष्टि का महाविनाश
मुक्ति की याचना लिये बन प्रदूषण की राख
नहीं कोई भगीरथ ?
न गंगावतरण की आस।
-व्याकुल पथिक
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प्रदूषण दशानन सा करता अट्टहास
दसों दिशाओं में हैं जिसका प्रताप
है कोई मर्यादापुरुषोत्तम ?
रण में दे उसे ललकार ।
रक्तबीज सा गगन में करता प्रलाप
भूमंडल पर निरंतर जिसका विस्तार
है कोई महाकाली ?
करे उसका रूधिरपान ।
दक्षराज सा बढ़ता जिसका अभिमान
सती होती प्रकृति , असहनीय संताप
है कोई वीरभद्र ?
करे उसका संघार ।
जनसेवकों की वाणी में करता निवास
शकुनि सा जिसका कपट जाल
है कोई कृष्ण ?
दे गीता का ज्ञान ।
भ्रष्टतंत्र का कर नित्य नव श्रृंगार
प्रदूषण हिंसा को देता उपहार
है कोई गांधी ?
करे फिर अहिंसा पाठ ।
वसुंधरा का"मानव"करता कुटिल मंथन
वासुकी सा फुफकार प्रदूषण
है कोई नीलकंठ ?
हलाहल का करे पान ।
सागरपुत्रों सा दिग्विजय का लेके प्रण
कपिल का तप ध्वनि प्रदूषण से किया भंग
भस्म हुईं महत्वाकांक्षाएँ अनंत
न मानव रहा, न उसका यंत्र ?
रे हतभाग्य ! किया सृष्टि का महाविनाश
मुक्ति की याचना लिये बन प्रदूषण की राख
नहीं कोई भगीरथ ?
न गंगावतरण की आस।
-व्याकुल पथिक