आज श्रमिक दिवस है
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ये दोस्त सुन लो तुम भी
यह दुनिया नहीं रहम की
करते रहो श्रम , मगर
अधिकार के लिये लड़ों भी
तक़दीर से लड़ो तुम
तस्वीर को बदल दो
उन्नत है भाल तेरा
है भुजाओं में दम भी
मज़दूरी नहीं शरम है
कृष्ण ने कहा ये कर्म है
श्रम का करो अभिनंदन
पुरुषार्थ है तेरा वंदन
परिश्रम से तेरे निर्मित
यह पथ और महल है
टिकी है ये जो धरती
श्रमिकों का ही बल है
क़िस्मत में जिनके धन है
वे करते है तुझसे छल भी
स्वामी नहीं वे तेरे
न सेवक हो तुमभी उनके
कर्म ही तेरी पूजा और
संघर्ष ये तेरा धर्म है
खुशियाँ हैं इनमें तेरी
न पीछे हटे कदम फिर
मृगतृष्णा में न फंसना
श्रमधार में बहते रहना
श्रमिकों की है ये दुनिया
सागर और अम्बर भी
हैं पकवान ये उनके
पर रोटी में तेरे दम है
ईमान है इसमें तेरा
बेइमान हैं वे वतन के
न काले गोरे का फ़र्क़ है
न आडम्बरों का भ्रम है
तेरी पीड़ा हो या आँसू
दुख-अभाव सब सम है
हो रात स्याह जितनी
दीपक सा जलते रहना
रहबर बनो जगत में
तुम श्रम के प्रतिबिंब हो
फुटपाथ हो घर तेरा
और उनके लिये महल है
मेहनतकश हो तुम भी
ले कर रहो जो हक़ है
अधिकार के लिये जिसने
खायी है गोली तन पे
नमन करो तुम उनको
आज श्रमिक दिवस है
न भूलों हे क्रांतिवीरों
यह जो जनतंत्र है
बलिदान पर टिका है
इसमें भी तेरा रक्त है
- व्याकुल पथिक