सवाल जिंदगी से !
**************चलो जिंदगी से
एक सवाल पूछता हूँ
कौन अपना कौन पराया ?
ये राज पूछता हूँ
खूबसूरत कैनवास तेरा
जब भी होता बदरंग
रिश्ते जिंदगी के
कैक्टस से देते क्यों चुभन ?
गेंदा,गुलाब,चम्पा,चमेली
है फूल तेरी बगिया में अनेक
फिर किसी को दे "पलाश"
उसकी प्यास का उपहास क्यों?
प्रीति, स्नेह , वात्सल्य
तेरे मधुशाला में हैं सब रंग
खो गये कहाँ स्वपन मेरे
बोल क्यों दिये तूने ये दण्ड?
ये ज्ञान ,वैराग्य ,दर्शन, धर्म
ना समझाओं तू मुझको
हुआ क्यों कोई न अपना ?
आ धैर्य बंधा जाता मुझको
थें हीरे,जवाहरात,मोती,मूंगा
ना मिले प्रेम के दो शब्द
क्यों भिक्षुक सा पात्र लिये ?
बन बटोही भटक रहें हम
फूलों का हार बन के
जो न महके थें कभी
भूलों की बात कह
वे फिर उड़ाते क्यों हँसी ?
जिंदगी कर एक उपकार तू
जब मृत्यु सेज पर हो ये तन
कोई आये यह कह जाए
दर्द जीवन में क्यों तूने पाये ?
-व्याकुल पथिक