मन के भाव
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नक़ाब जब हटता है
और सच सामने आता है
मुखौटे में शैतान देख
रुदन तब मुस्कुराता है
चेहरा जब बदलता है
और शूल बन चुभता है
दिल का ग़जब हाल देख
बावला वैरागी कहलाता है
उम्मीद जब टूटती है
चिता अरमानों की सजती है
मरघट पर मेला देख
भटका दृष्टा बन जाता है
संवेदना तब सिसकती है
जब घात बड़ों की सहती है
पढ़े -लिखो का खेल देख
हंस बगुला बन जाता है
भावना जब धधकती है
तब काँच बन पिघलती है
प्रतिशोध की ज्वाला देख
मानव दानव बन जाता है
आह तब निकलती है
जब छल मित्र का सहती है
धोखे का अंजाम देख
पारस लौह बन जाता है !!
-व्याकुल पथिक
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नक़ाब जब हटता है
और सच सामने आता है
मुखौटे में शैतान देख
रुदन तब मुस्कुराता है
चेहरा जब बदलता है
और शूल बन चुभता है
दिल का ग़जब हाल देख
बावला वैरागी कहलाता है
उम्मीद जब टूटती है
चिता अरमानों की सजती है
मरघट पर मेला देख
भटका दृष्टा बन जाता है
संवेदना तब सिसकती है
जब घात बड़ों की सहती है
पढ़े -लिखो का खेल देख
हंस बगुला बन जाता है
भावना जब धधकती है
तब काँच बन पिघलती है
प्रतिशोध की ज्वाला देख
मानव दानव बन जाता है
आह तब निकलती है
जब छल मित्र का सहती है
धोखे का अंजाम देख
पारस लौह बन जाता है !!
-व्याकुल पथिक