रंगों का साथ न हो..
****************
गीतों की बात चली
गीत हम क्यों गाये
राह में मीत मिले
वो ना नज़र आये
टूटे साज़ों को लिये
गीत हम कैसे गाये ?
छेड़ो न दिल को कोई
यादों को नींद आये
रिश्तों की बात छिड़ी
आँखें क्यों भर आयीं
शहनाई बज न सकी
लो तन्हाई संग लाये
दिल की क्या बात करूँ
दर्द जो हम पाये
आईना टूट गया और
हम ना नज़र आये
इश्क़ की बात न हो
फ़िर ये जुदाई कैसी
ग़म का साथ लिये हम
और मिली ये रुसवाई
हुस्न की बात करूँ क्यों
जो जख़्म उभर आये
राह में छोड़ चले जो
वो ना फ़िर आये
रंगों का साथ न हो
तो ये खुशियाँ कैसी
होली भी अब लगती
हमें तो मुहर्रम जैसी
किस्मत उनकी भी है
जिनको न मिली मंज़िल
दरिया में डुबोते वे भी
जिनसे उम्मीदें होतीं
---- व्याकुल पथिक
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गीतों की बात चली
गीत हम क्यों गाये
राह में मीत मिले
वो ना नज़र आये
टूटे साज़ों को लिये
गीत हम कैसे गाये ?
छेड़ो न दिल को कोई
यादों को नींद आये
रिश्तों की बात छिड़ी
आँखें क्यों भर आयीं
शहनाई बज न सकी
लो तन्हाई संग लाये
दिल की क्या बात करूँ
दर्द जो हम पाये
आईना टूट गया और
हम ना नज़र आये
इश्क़ की बात न हो
फ़िर ये जुदाई कैसी
ग़म का साथ लिये हम
और मिली ये रुसवाई
हुस्न की बात करूँ क्यों
जो जख़्म उभर आये
राह में छोड़ चले जो
वो ना फ़िर आये
रंगों का साथ न हो
तो ये खुशियाँ कैसी
होली भी अब लगती
हमें तो मुहर्रम जैसी
किस्मत उनकी भी है
जिनको न मिली मंज़िल
दरिया में डुबोते वे भी
जिनसे उम्मीदें होतीं
---- व्याकुल पथिक