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Friday 26 April 2019

वेदना से हो अंतिम मिलन


वेदना से हो अंतिम मिलन

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प्रीत का पुष्प  बन न सका

तू कांटों का ताज मुझे दे दो

खुशियों की नहीं  चाह मगर

वो दर्द का साज़ मुझे दे दो

न सपनों का  संसार मिला

तन्हाई हो वो रात मुझे दे दो

न प्यार मिला न इक़रार मिला

वो ज़ख्म जहां का मुझे दे दो

आंचल का तेरे  न छांव मिला

वेदना और संताप मुझे दे दो

 न  स्नेह की चाहत है तुझसे

   वो वैराग्य हमारा मुझे दे दो

यादों में अब ना आया करों

 एक और आघात मुझे दे दो

 वे न कहें इक भूल हैंं हम

  तिरस्कार तुम्हारा मुझे दे दो

कोमल न हो ये हृदय अपना

 यह वज्राघात मुझे दे दो

उपहास सहा,अब उपवास सहूं

तृप्त रहूँ, ये स्वांग मुझे दे दो

लूटे हुये अरमानों की कसम

  तुलसी-गंगा जल मुझे दे दो

जहाँ  फिर न कोई मीत मिले

  मरघट सा पावन तीर्थ दे दो

जलती हुई एक चिता हूँ मैं

 और भस्म हमारा उसे दे दो

वेदना  से हो  ये अंतिम मिलन

अब अनंत की राह मुझे दे दो

                - व्याकुल पथिक