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Thursday 2 May 2019

सबक़

सबक़
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दर्द  जो सीने में है
उसे दिखाया न कर

ख़ामोशी जो दिल में है
उसे बताया  न कर

 है रात रंगीन जिनकी
उनसे दिल न लगा

तेरी उदासी पर हँसेंगे
नहीं  कुछ तेरा वहाँ

रंग बदलती दुनिया में
दोस्ती कर संभल के

 ऐसे भी हमदर्द  यहाँ
ज़ख्म बन जाते नासूर

 मख़मली एहसासों को
 न अपनी ख़्वाहिश बना

गर्द जम चुकी इश्क़ पे
क़ब्र में कराह रहा वो

गुजर गये जो दिन
वे  लौटते फ़िर कहाँ ?

वाह-वाह की महफ़िल में
तेरे लिये नहीं कुछ वहाँ

पूछ देंगे तुझे वे अपनी
 हसीन रातों में से दो पल ?

हाथी के दांत दिखाने के
 खाने के कुछ और

है ये सबक़ तेरे लिये
वैरागी बन, जी न जला

       - व्याकुल पथिक