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Wednesday 1 July 2020

दौर ये कैसा ?


मन के भाव
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प्यार पंछी से जता के
शिकार इंसान का करते हैं।

  दौर ये कैसा देखो यारो 
जहाँ सैयाद मसीहा होते हैं !

आग  घरों में लगा के
जो चैन की नींद सोते हैं।

गज़ब सियासत देखो यारो 
वे  रहनुमा हमारे होते है !

शहतीर पलकों से उठा के
सुई  विषभरी चुभोते  हैं  ।

इंद्रजाल ये कैसा देखो यारो 
हम यहीं मुतमईन होते हैं !

 दुनिया को बहका के जो
 खुद मालामाल होते हैं ।

जमाना ये कैसा देखो यारो
वे ही  पीर-फ़क़ीर होते हैं !

हंगामा खड़ा करके जो  
फ़िर पर्दे में मुसकुराते  हैं।

खेल कलयुग का देखो यारो 
वे सच्चे साहित्यकार होते हैं !

पहचान पथिक इन्हें तनिक ,
 भरोसा इनपे नहीं करते हैं ।

अनजान दर्द से आँखों के 
पर क़लम के महान होते हैं !

- व्याकुल पथिक